Tuesday, December 31, 2013

मुज्जफ़रनगर के दंगों का दर्द्र ====================

दिनांक 31 दिसम्बर 2013
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मुज्जफ़रनगर के दंगों का दर्द्र
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हिन्दु -मुस्लिम -सिख -  ईसाई,
आपस में  है सब    भाई - भाई।

सदियों से फ़िजा में,
यही आवाज़ तैरती आई।
पता नहीं क्यों,
वैमनस्ता की
कैसे धुंध छाई।

पहले तो अपनों ने ही,
दंगों में हमें उजाड़ा।
फिर तो नन्हें -नन्हें,
बच्चों को ठण्ड ने मारा।

फिर पक्ष --विपक्ष में,
होने लगी राजनीति,
मरी  इंसानी यत,
शेष बेतुके  बयानों ने मारा। . 

"आम -चुनाव - 2014 " ===============

दिनांक 31 दिसम्बर 2013
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"आम -चुनाव - 2014 "
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यह युद्ध  आर -पर   है
अन्तिम    अब  प्रहार है
मोदी ने की हाहाकार  है
कांग्रेसः की भी ललकार है।

था अग्रेजों भारत छोड़ो
का उद्घोष
विदेशी सत्ता के लिये।
है काग्रेस भारत छोड़ो,
मोदी का आवाहन,
देशी कांग्रेसी यो के लिये,

सुनते आये थे
सत्य मेव जयते,
का नारा अब तक।
होगा सत्य,
श्रम मेव जयते
का नारा कब तक।

दे रहें हार का पैग़ाम -------------- =======================

दिनांक 31 दिसम्बर 2013


मुज्जफ़रनगर,
के सवालों पर,
भड़क उठे अखिलेश।
जब भड़क उठेगा,
आम -आदमी
तो "सपा "का,
न बचेगा अवशेष।

हुयी शिविरो में बदइंतजामी,
सच्चाई को करो स्वीकार,
सुरक्षा,न्याय,व राहत,
पाने का हर एक,
है अधिकार।

कुछ पदाधिकारी,
विधायक व मन्त्री गण,
हो रहे है बेलगाम।
आने वाले चौ दह के समर में
दे रहे हार का पैगाम। .

"मेरा पूरा देश ------------- ==============

30 दिसम्बर 2013

सबसे सुन्दर है,
भारत देश हमारा।
राहुल ने दिया।
एक मन -मोहक नारा।

काग्रेस का हाथ.
आम आदमी के साथ।
आम आदमी ही है,
अब "आप"के साथ।

अब आम आदमी,
का है यह सन्देश,
अभी जीता दिल्ली को,
अब है मेरा पूरा देश। . 

Saturday, December 28, 2013

"होगी दिल्ली सुरक्षित ;;;;;;;;;;;;;;;

दिनांक 28 दिसम्बर 2013 समय 3 बजे "आप "मंत्रीमंडल के शपथ लेने के बाद
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लाल -नीली बत्तियों का,
दिल्ली में पड़ गया अकाल।
एक वर्ष के अन्दर ही,
"आप"ने कर दिया कमाल।
आम -आदमी की धूम है,
गली -गली में मच गया धमाल।

यह क्यों हुआ,क्या हुआ,
कैसे हुआ ?ये खिलवाड़।
हर राजनैतिक दल पूछ रहा,
है अपनों से यह सवाल।

सुरक्षा लेने को मंत्रियों ने,
कर दिया है इन्कार,
होगी दिल्ली सुरक्षित,
इस पर है पूर्ण   विचार।
भ्रस्टाचार  मिटाने का  तो,
ले लिया पुनः सकंल्प,
है यही शाश्वत  सत्य,
न समझे  इसे   कोई  गल्प। ।

अनुभूतियाँ : जगंलों में ही तो रहते है।

अनुभूतियाँ : जगंलों में ही तो रहते है।: बेंगलूर 22 नवम्बर 2013 दिन शुक्रवार मार्ग शीर्ष कृस्न पक्ष पंचमी सवत २०७० स्थल ;-सी 902 नागर्जुन। महादेवपुरा ============================...

Friday, December 20, 2013

जगंलों में ही तो रहते है।

बेंगलूर 22 नवम्बर 2013 दिन शुक्रवार मार्ग शीर्ष कृस्न पक्ष पंचमी सवत २०७०
स्थल ;-सी 902 नागर्जुन। महादेवपुरा
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"आदि -मानव जंगलों में रहता आया था।
हम आज भी तो जंगलों में ही रहते है।
वे रहते थे ,हरे -भरे जंगलो में,
हाँ,हम रहते है।
कंक्रीट के जंगलों में।

उन्हें मिलते था,मुफ्त हवा,पानी और फल। .
हम भुगतान करते है,
सभी सुविधाओ का,
कुछ का तो न ही है कोई हल।

वे रहते थे आपस में,
मिल -जुल।
अब नही है समय,
अपनों के लिए भी
पल दो पल 

प्रकाशनार्थ :-विद्युत सब स्टेशन निर्माण हेतु भूमि -पूजन ==============================


गुडगाँव 2 0 दिसम्बर : हरियाणा विद्युत प्रशारण निगम लि ० की ओर से सेक्टर 57 में 220 किलोवाट के सबस्टेशन निर्माण हेतुशास्त्रीय ढ़ग से भूमि -पूजन किया गया। निर्माण के देवता श्री विश्वकर्मा के चित्र के समुख हवन आदि कर पूजा संम्पन हुई।

निगम के वरिष्ट अधिकारी आर ० के ० गोयल ने नारियल फोड़ कर कार्य शुभारम्भ कराया। चर्चा के मध्य श्री गोयल ने बताया कि प्रोजेक्ट की लागत 25 करोड़ है। इसका निर्माण पन्द्रह माह में करा लिया जायेगा।




श्री गोयल नारियल फोरडते 



Thursday, December 19, 2013

***************************************सोनिया की सीख *************


हार से हताश,
होने की जरूरत नही।
जितना खो चुके है हम,
उसपर रोना नही।
गिर -गिर के जो उठता,
है वीर सेनानी वही।

सोच लो आज से तुम,
सब गलत है,
केवल हम है सही।
करे न करे,छोड़ दो
इस सोच को।
रहो अनुशासन में सदा,
अब गुटबाज़ी नही।
दस वर्षो के विकास को,
जनता के मध्य,
बखानो तो सही।

दो हजार चौ दा के समर में
नाव कांग्रेसः की उबारो तो सही। 

जलाओ मशाल ,बड़ा अधेरा है====================

 अरे कोई मशाल जलाओ ,
बड़ा अधेरा है।
भुखमरी है ,बदहाली है,बेकरी है।
महगाई है,भ्रस्टाचार है,बेजारी है।
गरीबी व अमीरी,बीच बड़ी खाई है।
दुरजनों के मध्य,फसी नारी है।
आओ हम सब मिलकर,
जलाए मशाल,
बड़ा अधेंरा है।

Wednesday, December 18, 2013

"न बदली है सोच ,न बदला है नजरिया " ==========================

न बदली है सोच ,न बदला है नजरिया। 
कुछ आदमी है गिद्ध ,कुछ है भेड़िया। 

जिन लोगो ने दामिनी को मौत ,
देने में न की थी कोई कोताही। 
हाई कोर्ट में क्यों अबतक,
धीरे -धीरे चल रही सुनवाई। 

एक नाबालिग क्रूरतम वहशी ,
दरिन्दा बच निकला। 
उसे सजा मौत की ,
न मिल पाई। 

हुये कितने स्वता :स्फूर्त जन -आन्दोलन। 
दशा आज भी न देश की बदल पाई। . 
भटक रही है आत्मा "निर्भया "की ,
अभी उसे न मुक्ति मिल पाई। . 

एक ने तो ले लिया था ,
मौत को अपने आगोश में ,
अभी चार को ,
जालिम मौत नही आयी। 

कितना घना है ,कोहरा

दिनांक 17 दिसम्बर 2013 समय 7 बजे स्थान गुड़गाँव।


कितना घना है कोहरा ,
दिखती नही है ,
तस्वीर साफ -साफ।
रोशनी कितनी अक्षम है ,
दिखते नही है ,
खड़े -खड़े है पास -पास।

कभी छटेगा ,कभी हटेगा ,
कभी तो तम घटेगा ,
की गयी किसी की कोशिशो का ,
कुछ तो असर पड़ेगा।
कभी तो बुझेगी ,
कामुक नर की ज्वाला।
कभी तो छलेगा ,
नारी के सब्र का प्याला।
बचेगी अस्मिता है,
यही मेरी -तेरी आस।
मत रो यामनी ,
मत कर ,मन को उदास 

मन मोहन उर्फ़ मोनू का कहना

करें वादा वही जो कर सके "आप"
वरना जनता नही करेगी माफ़
लम्बे -चौड़े ,झूठे -सच्चे मेनोफेस्टो का
गुजर गया है वक्त।
जनता हो जागरूक ,सजग
हो रही है सख्त।
अब न चलेगा मौज -मस्ती का आलम ,
सत्ता हो रही है काटों भरा तख्त।
काश ऐसा हो ,परेशां हो जन -सेवक ,
चाहत हर पूरी हो ,
जनता हो जाये मस्त। । 

"आप के सवाल का जनता का जवाब "

दिनांक १८ दिसम्बर २०१३

"आप "के अठारह सवालों का ,
देकर जवाब।
कांग्रेस ने बढ़ा दिया "आप "पर
नैतिक दबाब।
करो अब बन्द खेल टेबिल -टेनिस का ,
मिले जो राहत जनता को।
रंग निखरेगा। "आप "की
ईमानदार कोशिश का।

छाती ठोक कर। चुनौती करोस्वीकार।
चाहे हो अल्प मत में,फिर भी बने सरकार।
सरकारें बनती है ,
बदलती है ,यही है लोकतत्र।
आने से "आप "के ,
रुकेगा ,गन -तन्त् धन -तन्त्।
जब "आप "करेगी जन -हित कार्य ,
करेगी जनता उन्हें बहुत पसन्द।
जो भी गिरायेगा,ऐसी सरकारो को ,
जनता खुद ही करेगी उन्हें नापसन्द।
होगी जीत बार -बार जनता की ,
यही तो है ,असली जनतंत्र। . 

Monday, December 16, 2013

महिला ---श्रमिक

आज दिनांक सत्तरह दिसम्बर दो हजार तेरह दिन मंगल वार प्रात :छै बजे ,स्थान गुड़गांव ,सुबहः जब नीद खुली दैनिक क्रिया के अनुसार चिड़ियों को चावल डालने घर के बाहर निकला तो देखा कि कुछ भी दिखाई नही दे रहा है। बाहर घन -घोर कोहरा छाया हुआ है। ओस की बूंदो से ज़मीन गीली हो रही थी।

इस तरह के मौसम में प्रातकालीन सैर को निकलना एक चुनौती सी लगी। हमने कुछ देर प्रतीछा की सुबह के सात बज चुके थे। अब हम निकल पड़े। हालात में बहुत बदलाव नही था। पाँच कदम की दूरी की वस्तु दिखलाई पड़ रही थी। दस कदम पर धुंधली आकृति समझ आती थी। इसके बाद घोर अधंकार कुछ भी नही दिखता। लैम्प -पोस्ट का प्रकाश। तारो की तरह टिम -टीमा रहा था। रवि कोहरे की ओट में था। उसके दर्शन नही हो रहे थे।

जगत का कार्य प्रांरभ हो चुका था। सड़को पर आते -जाते वाहनों की लाईट अधंकार को भेदने में समर्थ नही थी। ऐसे में देखा कि सड़क किनारे निर्माणाधीन भवन के बाहर एक महिला ,खुले असमान के नीचे ,कोहरे के ओट में स्न्नान कर रही है। गर्दन के नीचे ,पीठ के उपर ,बच्चो के दुग्ध पान स्थल को पेटीकोट से ढ़के। प्रात :काल की ठिठुरती शीत में कर्मठ सांवली काया की स्व्मनी मालती जल्दी -जल्दी डिब्बे से जल डाल कर अपने शरीर को साफ करने का प्रयास कर रही थी। अभी उसे बच्चो का खाना भी बनाना था। आठ बजते -बजते निर्माणधीन भवन,कार्य -स्थल पर उपस्थित होना था। देर होने पर ठेकेदार की ताने भरी बोली से दो -चार होना पड़ सकता है। यह भी हो सकता कि उसे काम पर ही न लिया जाये।

निर्माणधीन भवन के समीप ही ईटों को सजा कर दीवार बनाई। उस पर पन्नी व तिरपाल डालकर रैन बसेरा का प्रबन्ध कर लिया गया था। पास ही ईटों से ही निर्मित चूल्हा बनाया। बन गया इनका किचन। स्नान घर की व्यस्था तो नल किनारे। शौच के लिये दूर निर्जन एकान्त कि तलाश होती है। शहरो में भवनों के निर्माण में लाखों श्रमिक लगे है जिनकी दशा भी वैसी ही है.दूसरो के लिये आशियाने बनाने वाले श्रमिक खुद झुंगी -झोपडी में शीत ,ग्रीष्म ,वर्षा में ऐसे ही जीवन बसर करते है। महिला मजदूर मालती २९ वर्ष की है। दस वर्षो से अपने पति रामदयाल प्रजापति के साथ गुड़गांव में विभिन्न ठेकेदारो के अन्तर्गत गृह -निर्माण के कार्य में मजदूरी कर रही है ,एक अजीब बात है कि उन्हें उसी कार्य के लिये अपने पति से कम मजदूरी दी जाती है

वह डुमरिया गंज ,सिद्धार्थ नगर। उ ० प्र ० की मूल निवासी है। जब तेरह वर्ष की ऊम्र में उसका विवाह रामदयाल के साथ हुआ तो वह पाचवी क्लास में पढ़ रही थी। छै वर्ष तक गाँव में सास-ससुर की सेवा की। गाँव में खेती -पाती के साथ मनरेगा में मजदूरी भी करती थी। मनरेगा में जब दस दिन कम करती तो आठ दिन का पैसा बैक खाते में जमा होता। ग्राम -प्रधान की नजर भी गन्दी थी। वह कभी -कभी बुरे इरादे से हाथ पकड़ लेता। रामदयाल साल में एक बार होली में गाँव आता था। रामदयाल दस साल पहले अपने ताऊ के साथ गुड़गाँव आया था। जब गाँव में माता -पिता का देहान्त हो गया तो पट्टीदारों के सहारे अपनी थोड़ी खेती छोड़ कर पत्नी को भी साथ ले आया। उनके तीन बच्चे है। पहले लड़के की उमर दस वर्ष ,दूसरी लड़की आठ वर्ष ,तीसरे लड़के की उम्र अभी पाँच साल की है।

वह अपने बच्चो को पढ़ना चाहते है। उनका कार्य -स्थल बदलता रहता है। उसी के साथ उनका आशियाना भी बदल जाता है। बच्चो को दूर स्कूल भेज नही सकते है। इतनी आमदनी नही है। वह इसी तरह। किसी तरह जिंदगी की गाड़ी को खीचने का प्रयास करते है। यही हमारे देश के मजूदरों का भाग्य है। बड़े -बड़े बिल्डर करोड़ो में मुनाफा कमाते है। इन विश्वकर्मा के हिस्से आते है चन्द मजदूरी के सिक्के।

पुरुष श्रमिक तो दिन भर की कड़ी मेहनत के बाद आराम करते है। कभी -कभी सुरापान कर अपनी थकान मिटाते है। और अपनी जोरू के ऊपर मर्दानगी दिखाते है। पर महिला श्रमिक को कड़ी मेहनत के बाद साय :काल परिवार के भोजन का प्रबंध करने में फिर श्रम करना होता है। यह दोहरी -तिहरी मेहनत।
मेहनत कश महिला श्रमिक का यही तो भाग्य है। 

बदलते आयाम

गुरु और चेले में ठन गयी।
आज -तक की एक खबर  बन गयी।
मौत से शीश राम ओला की ,बिल पर चर्चा टाल गयी।

मान लिया सरकारी बिल को अन्ना ने ,
बात मन मोहन की हर ओर जम गयी।
केजरीवाल तो पुराने स्टैण्ड पर कायम है ,
बदलते हुऐ आयाम में ,
जादू की छड़ी किरन बेदी व वी ० के ० सिंह की।
अन्ना हज़ारे पर पूरी तरह चल गयी। 

लोकपाल बनाम जोकपाल

आज की खबर है।
लोकपाल पर केजरी लगे किनारे -किनारे।
पर दिए है उन्होंने भी जवाब करारे -करारे।
इस जोकपाल से मंत्री तो क्या ,
कोई चूहा भी न जा पाएगा जेल के दवारे।
फायदा राहुल को हो राजनीति में ,
इसीलिये दिख़ रहे है यह रंगीन नज़ारे।
करेगी जाँच ,सी ० बी ० आई ० वही ,
जो खुद है सरकार की मर्जी के सहारे।
चयन भी जोकपाल का करेगी सरकारी मशीनरी ,
जनता रहेगी पहले ही की तरह एक किनारे।
कल तक अन्ना जी कहते थे जिसे जोकपाल,
आज वह भी है बस उसी सरकार के सहारे। 

शर्तो पर इकरार

"आप " की  शर्तो  की  बड़ी  अज़ाब  है  दीवार ,
भा ० जा o पा ०  व  कांग्रेस  पर  है  दोहरा  प्रहार।
कांग्रेस  भी तिल -मिला  कर, कर  उठी फुफकार ,
"
आप " नही है , जिम्मेदारी   उठाने  को तैयार।
मण्डप  सजा  है ,पर दूल्हा कर रहा  शादी  से  इनकार।
हम  तो  बिना माँगे दे ,समर्थन कर  रहे  उपकार।
रचनात्मक  सहयोग देगे हम बाहर से मेरे यार।

कयोंकि दिल्ली की जागरूक जनता से हमें है प्यार।
केजरीवाल ने कहा ,घोटालो की जाँच को हो तैयार।
जनता से पूछ ,तब हम बनायेंगे "आप "की सरकार। 

Sunday, December 15, 2013

पालतू श्वान बनाम सड़क के कुत्ते


प्रात :काल  6  बजे टहलने  के  लिये  घर  से  निकला। घन -घोर  तिमिर  फैला  हुआ था। सड़क  के प्रकाश  केंद्र  टिम -टीमा  रहे  थे। सड़क  सूनसान थी। यदा -कदा  कोई  साइकिल  सवार  पास  से  गुजर  जाता  था। खरामा -खरामा चलता हुआ आधे -घंटे  में  पार्क  पहुँचा। प्रकाश  खिलने  को प्रयास रत  था। समस्त  वातावरण  ने  कोहरे  की  चादर  लपेट  रखी  थी। हवा  में गलन  थी। गत -दिवसो में उत्तराखंड। हिमाचल ,व जम्मू -कशमीर  की  पहड़ियों  में हुए  हिमपात  का  असर यहाँ  महसूस हो रहा था। सूर्य -देव  का दूर -दूर  तक  पता नही था। लगता है आज रवि को रविवार  होने के कारण ,अपने  कार्य को प्रारम्भ  करने  की  शीघ्रता  नही  थी। चिड़ियों  का चहकना  कर्ण  प्रिय  लग रहा  था।

वैसे  तो पार्क  में श्वान  ले  जाना  प्रतिबंदित  था। जैसा कि पार्क के नियम   वाले  नोटिस बोर्ड  में लिखा  था। परन्तु पाँच -छै  की सख्या  में आवारा  कुत्ते पार्क  में टहल रहे थे। लगता है मानव  की देखा -देखी  वह  भी अपना स्वास्थ  उत्तम  बनाये  रखने  का प्रयास  कर  रहे  हो। इस  मौसम  में श्वान  जाति  अपनी संख्या  व कुल  को बढ़ाने  का अभियान  चलाते  है। एक मादा श्वान के  पीछे कई हट्टे -कट्टे  नर श्वान  दौड  लगा रहे थे। एक  दूसरे को भाॊकते -काटते  अपना  दावा मजबूत  करने की कोशिस  कर रहे थे। अन्त  में कालू नाम के कुत्ते  को सफलता मिली। चितकबरी नाम की मादा के  साथ  बासो  की झुरमुट  में चले  गये।


लालू व भूरा नाम के कुत्ते  पॉर्क  के बाहर कि ओर चले गए। बाहर फुटपाथ  पर मैडम  रोज़ी नाम की  मादा स्वान  जो अपने  मालिक के साथ  दैनिक क्रिया  से निर्वत  होने  आई  थी। उसे  देख  कर पहले  भूरा  भौका ,उसने अपने  मर्द होने  का परिचय दिया। लालू कुछ  सुघते हुये  रोजी के आगे -पीछे घूमने  लगा। रोज़ी के मालिक ने जंजीर  को अपनी ओर खीचा। उच्च -कुलीन  घराने  की कन्या  और सड़क छाप देसी  कुत्ते  का कया  मेल। सामंती  समाज के प्रतीक  रोज़ी के मालिक  को यह  नागवार  गुजरा कि एक देसी  कुत्ता  उसकी विदेशी  राजकुमारी  से मेल -जोल बढ़ाये। उन्होंने  एक स्टिक  से लालू  पर प्रहार करते हुऐ एक ओर बढ़  गए। लालू  और भूरा काफी  दूर तक भौकते रहे। एक  सीमा के बाद वे  लौट कर अपनी एरिया  में वापस आ  गए।

कुत्तों   में यह व्वयस्था  है कि कोई  किसी केछेत्र  में  अतिक्रमण  नही  करता। यदि करता है  तो  मौखिक युद्ध प्रारम्भ  हो  जाता है। -कभी  नोच -खसोट  भी  हो जाती है। कटा -कुटी  में कई  बार  घायल  भी  हो  जाते है। लौटते  समय  भूरा  ने  लालू  से  कहा कि ये  पालतू  स्वान  तो  गुलाम  है। मालिक के इशारों  पर नाचना होता  है। न  घूमने  की आजादी  न  ही  किसी  से  मिलाने की अनुमति। इनके  मालिक  ही  तय  करेंगे कि  किस  जाति के  कुलीन  घराने  के स्वान  से  इनका  मेल  हो। लालू  ने  हामी भरते हुए कहा कि यह  तो  तुम  ठीक  कह  रहे  हो। पर एक  बात  है इनके  मालिक उनकी सुविधा  का पूरा  ध्यान  रखते है। देखा नही ,हम  तुम  शीत में ठिठुरते  है। रोज़ी ने ऊनी स्वेटर  पहन  रखा है। हम  लोग सड़क के  किनारे ,दूकानो  के नीचे  दुबक  कर  रात  गुजारते है। दूसरी  ओर रोज़ी  जैसी अन्य  पालतू श्वान  गरम कमरो  में सोते  है। सुख -सुविधा  चाहे  जितनी  मिले लेकिन  हम लोगों की सी  आजादी  बिलकुल  नही  है। हम  जिसके  ऊपर  चाहते  है ,भौकते है। विचारों  की अभिवक्ति की  आज़ादी  तो है। चाहे  पेट  भूखा  रहे।

उधर  से एक बड़े -बड़े  बालों  वाला  भालू  की  तरह झूमते  हुऐ  विलियम  नाम  का स्वान  अपने  मालिक  के नौकर या कह  लो अपने रख वाले शयाम  के साथ  सड़क  के  किनारे  फुटपाथ  पर हवा -खोरी  के लिये  आया  था। लालू  और  भूरा  ने पहले  भभकी  में लेना  चाहा  पर उसकी  शेर  सी  गुराहट  सुनकर ,पूछ को अपनी  पिछली दोनों  टांगो के बीच दबा कर ,आदर -पूर्वक  कहा कि  विलयम  दादा  राम -राम। खुश  रहो ,आबाद रहो . विलियम  दादा  ने आशीर्वाद  देते  हुये  कहा कि  आज कल तुम लोग  कुछ  ज्यादा ही  दुबले हो  गए  हो। उदासी से भर  कर लालू ने कहा हा  दादा आज कल  मॅहगाई  के  कारण  लोग खाने  का सामान कम  से कम  फेकते है। यहाँ तक  गली के  किनारे वाला करीम  कसाई भी छीछड़े  कम ही फेकता है। पता नही कया  करता है। दो दिन से एक  निवाला  भी मुँह  में नहीं गया है।

यह तो सच है मॅहगाई  का असर  हमारे  मालिक पर भी पड़ा है। सौ रुपए  किलो प्याज  और महगां  गोशत। पहले  रोज ही  तर  मॉल  खाने को  मिलता था। अब  एक दिन छोड़  कर मांस  मिल  पाता है। दूध -ब्रेड  से  काम चलाना  पड़ता है। विलयम ने अफ़सोस  जाहिर  करते हुए कहा। लालू ने कहा विलयम  दादा  तुम्हीं  ठीक हो कुछ नही  तो  दूध -ब्रेड तो पा जाते हो। हमारे मोहल्ले के रामदीन  लोहार के बच्चे तो भूखे  पेट  पाठशाला  जाते है। दूध -ब्रेड तो क्या  सुखी रोटी नमक भी नसीब में नहीं  होता। यही तो नसीब  अपना -
अपना

तभी कुछ दूर से चितकबरा  दुम उची  किए आ  पहुँचा। क्या  बात है बड़े चौड़े  होकर चल रहे हो --लालू  ने  पूछा। क्या  बताए  काका हम  मोदी की रैली  में गये थे। दस रूपये  का टिकट ख़रीदा था। आजकल तो  मोदी कुछ अधिक ही भौक रहा है यानिकी जोरदार भाषण  झाड़ रहा है। कहत है कि गाँव -गाँव  से  लोहा इक्ठा  करके ,सरदार पटेल की प्रतिमा बनवायेगा और कहत है कि हमें किसान का औजार  चाहिये। अब भला  बताओ अगर  किसान  अपने औजार  दे देगा तो वह अपना काम  कैसे  करेगा। --चितकबरा  ने सूचना  देते  हुए कहा।

भूरा बोला  कुछ भी कहो। काग्रेस  के राज में  महगाई और भ्रस्टाचार  तो बहुत बढ़  गया है। अभी कुछ दिन पहले आवारा कुत्ता पकड़ने वाला दल आया था। हमका  पकड़  लिहिन। हम चुपके से उनकी मुट्ठी गर्म  किया  तो कुछ दूर ले  जाके छोड़  दिया। का बताई आदमी तो आदमी  लोग कुत्ते को भी नही छोड़ते  है। एक  केजरीवाल भाई है उन्होंने एक "आप " पार्टी  बनाई है। वह कहते है कि हम जनता का शासन लायेंगे। भ्रस्टाचार मुक्त प्रशसान होगा। वैसे  राहुल भईया मेहनत तो बहुत करत है पर मोदी के सामने जमत  नही है। मोदी शेर है ,तो राहुल ;;;;;;;;;;;;;;;

चितकबरा  ने कहा कि गुजरात में मोदी कि सत्ता है। वहाँ  भी कूकुर  समाज की दशा  शेष  देश  जैसी ही  है। हम काहे  मोदी  का समर्थन करे। उनकी तो उछल -कूद  तो बस कोई तरह प्रधान मंत्री  बन जाई। बुजुर्ग लाल किशन  आडवाडी  बेचारे अपना नम्बर आवे के इंतज़ार मा  बूढ़े हो गये। दिल्ली  अभी  दूर लागत है। अरे दिल्ली का नाम लेकर हमको शीला दीछित की याद आ गई। उनका पालतू कुत्ता हमको स्टेसन  पर मिला था। बड़ी शान थी उसकी कई सुरछा गार्ड उसके आगे -पीछे थे। आम आदमी लुटा जा रहा है। खून -खराबा होता है आतंक वादी कारनामे करते है। औरतों  की इज्ज्त  लुटी  जाती है। उनका का सरोकार  बस उनके  कुत्ते सुरछित  रहे। आम -आदमी की सुरछा  राम भरोसे।

अब तक कालू भी चितकबरी से रोमांस  फ़रमाने के बाद इस सभा में सम्म्लित  हो गया  उसने  कहा कि अभी  तुम  लोग आम -आदमी  की बात कर  रहे थे। दिल्ली  विधान -सभा के चुनाव में किसी दल को बहुमत नही मिला  है। भा ० जा ० पा ० ने सरकार बनाने से मना कर दिया है। उप राजयपाल  ने "आप "पार्टी को सरकार बनाने को कहा है। कॉग्रेस ने बिना मागे अपना समर्थन  आप पार्टी को दे दिया। केजरीवाल ने कहा पहले हमारी १८ मुद्दे पर अपजिन्दाबाद नी सहमति जाहिर करो। हम  जनता से पूछ कर सरकार  बनायेगे। देखो क्या होता है। अगर समय से सरकार नही बनेंगी तो दुबारा चुनाव होंगे। अरबों रुपया फिर खर्च होगा। कौन होगा  ज़िम्मेदार।

 अब हमलोग भी एक अंतर -राष्टीय कुत्ता पार्टी  बनायगे ---जोश में आते हुऐ कालू ने  कहा। समस्त देशो के कुत्तो  को एकजुट करेगे। दुनिया के कुत्तो एक हो -एक हो  का नारा बुलंद किया। सारे कुत्ते भौकने  लगे। हम अपने अधिकारो  के लिये संघर्ष  करेंगे। अरे यह कहा हो सकता है --निराश होते हुये भूरे ने कहा। कयो  नही हो सकता है। लोक तन्त्र  में सबको अधिकार है। जब स्वामी रामदेव "स्वाभिमान पार्टी बना सकते है। महा -भोगी
नारायण साई जब "अभुदय पार्टी बना सकते है चाहे जेल में हो तब हम क्यों नही बनासकते  है। ---कालू  ने ललकारते हुये कहा हमारा स्वान संघ --जिन्दाबाद ---------जिन्दाबाद। 

Saturday, December 14, 2013

कूड़े में जिन्दगी खोजता बचपन




प्राची  दिशा में  कंकरीट  के जगलों  के  पीछे  से  निकलती  नारंगी ,सुनहरी  किरणे ,भुंवन -भासकर  के आगमन  की घोषणा  कर  रही  थी। वातावरण  में  हल्की -हल्की धुंध  शीत का अहसास करा रही थी। भो -भो  की आवाज ने  हमारा ध्यान  आकर्षित  किया। देखा  कि एक  कूड़े  के ढेर के पास ,जहाँ  सूकर  लोट रहे  थे। 

एक बालक कुछ  खोज  रहा है। उसके  आस -पास  कुत्तो का झुण्ड उसकी ओर देख कर भूक रहा है। वह  निरीह  बालक अपने  झोली  को हथियार  बनाये ,चारो ओर घुमा कर  कुत्तो से मोर्चा ले रहा था। उसका भाई  तेजी से बोतल बटोर रहा था। यह कुत्ते भी कितने अजीब है। क्या यह बालक इन्हें  चोर -उचक्का  लग रहा था। ये आवारा  कुत्ते भी उसे इन्सान न  मान अपना  दुश्मन  समझ  रहे है। 

एक  लकड़ी  का लट्ठ उठा कर हम जो उनकी ओर लपके  तो कुत्ते दूर तक भोकते  हुए चले गए। हमने उनके करीब आ कर कहा कि तुम  कया  खोजते हो। उन्होने  कहा  कुछ बोतले ,कुछ लोहे का  सामान। हमने पुन :पूछा कि उसका कया  करोगे। उसने धीरे से कहा कि कबाड़ी वालो को बेच कर  कुछ पैसे  मिलेगें। उनसे खाने का सामान खरीद लूंगा। 

यह भी  जिन्दगी है ,एक इन्सान के बच्चे की। स्कूल  जाने के दिनों में वह कूड़े में जिन्दगी  खोजता है। क्या हुआ सर्व -शिच्छा  अभियान का। कहाँ  गया शिच्छा  प्राप्त  करने का मौलिक अधिकार। न जाने  कितने नौनिहाल शिच्छा प्राप्त  करने से वचिंत है। इस  देश की पैसठ  वरसों  की आजादी के बाद हम कैसी प्रगति कर रहें है। 

हमने पूछा कि कया  नाम है तुम्हरा। एक  बोला हमारा नाम है रहमान। दूसरा बोला हमारा नाम है  सुल्तान। 
हम दोनों भाई -भाई  है। हमने पूछा कि घर में और कौन -कौन है। अम्मी है। अब्बा है। नफ़ीसा ,रजिया। नरगिस  तीन  बहने है। तुम्हारे अब्बा क्या करते है। उन्होंने कहा कि वह कुछ नही करते है। वह  बीमार है। अम्मी पास के घरों में  साफ़ -सफ़ाई  का काम करती है। हम पाँच  भाई -बहन  कूड़ा  बीनते है। हमनें  पूछा कि  कुछ सुबह से खाया है कि नही। हाँ  कल  रात की बची  रोटी  पानी से भिगो कर खाई है। हमने पूछा भूख लगी है। शर्माते हुये  उन्होंने  हा  कहा। हम उन्हें लेकर चाय की दुकान पर आए। ब्रेड व चाय  पिला  कर उन्हें   
विदा किया।
दूसरी ओर  से एक बस आकर रुकी।  सूट व टाई से सजे - धजे बच्चे। किसी बड़े अग्रेजी स्कूल के विद्यार्थी बैठे थे। मनं फिर सोचने लगा कि यह कैसी विषमता है। मानव -मानव में कितना अन्तर है। एक यह बचपन है ,जो सज -धज कर सर्व साधन सुलभ , चैन की बंसी बजाता है। जो आगे चल कर,पड़ लिख कर ,प्रशासन का कार्यभार सम्भालेगा। एक वो बचपन है जो कूड़े के ढेर में जिंदगी खोजता है। जो आगे चल कर मजदूर बनेगा शोचित होगा कुपोशित होगा।





तस्वीर कुछ बोलती है




बेक़रारी  से  है ,इन्तजार  उसे  किसीका।
जो  आ  सके  समय  से ,ये  जाम है उसीका
है ,मेज  खाली -खाली ,खाली  है कुर्सियाँ  भी।
उन्हे  है बेसब्री  से  इन्तजार  बस  उसी का।
ढ़ल  रही है शाम ,उतरती है निशा  भी।
चढ़ते  हुए , येवन  की भटकी  हुई दिशा  सी।
जुल्फों  को  कस  के  बाधा ,सीने  को  कुछ  उभरा।
है ,हाथ  क़मर  में ,है  दिलकश  ये है नजारा। 

पैतरे बाजी की राजनीति

इतने  आतुर  है ,काग्रेसी  कि  बने "आप " की  सरकार  ,
बिना मांगे  ही ,सौप  दिया  समर्थन  पत्र,
नजीब जंग  को  जिसकी न   थी "
आप " ने कोई  दरक़ार ।
कैसे  निभाएगे,जनता  से  किया  वादा "आप "के लोग ,
इसका है ,उन्हे  बड़ी बेसब्री   से इन्तज़ार।
पाले  में  डाल  दी है ,गेंद  "आप "के दवार ,
सोची -समझी  चाल  है ,न  जनता से ,न "आप "से है प्यार।
विचार -विमर्ष  कर  के "आप " के लोग।,


चि
त  जवाब  देने  को है  "आप "भी  तैयार।
प्रत्य छ  जन तंत्र  की  ओर  बढ  रही है आप  की "आप "
अप्रत्य् छ  लोक तंत्र  पर  लगे गा  धीरे   सा  श्राप।
बिना  शर्त  समर्थन  पर ,लगा दी   है  "आप "ने शर्त ,
खुल जायेगी भा ० जा ०पा ०  वा कांग्रेस  की अंदरूनी  पर्त
मुद्दे  के वा  कुछ सवालो  के  आधार  पर  हम  बनायगे
सरकार।
"आप " और  हम  जायगे ,मुख्य  सवालो  पर ,
जनता  के  द्वार  बार -बार। 

Friday, December 13, 2013

बदलती राजनीति

नज़ीब ज़ंग ने पुछा पहले भाजपा से,
क्या आप बनाएंगे दिल्ली की सरकार। 
हर्षवर्धन ने कहा सकुचाते हुए,
चाहते तो है , परन्तु कुछ छोटा है हमारा परिवार।  
जोड़ -तोड़ करना हमारी फितरत नहीं,
जायेगे पुनः समर में, पूर्ण बहुमत का है इंतज़ार।  
फिर जंग ने पुछा आप से क्या आप,
बनायेगे दिल्ली कि सरकार 
कहा विश्वास ने पूर्ण विश्वास के साथ,
सभी विकल्पों पर कर रहे है पूर्ण विचार 
हमें नहीं है भाजपा या कांग्रेस के समर्थन कि दरकार। 
पड़े ना बोझ दोबारा हमारी जनता पर 
हाँ, हम बना सकते है अल्प मत कि सरकार।  

Monday, December 9, 2013

आज की राजनीति

हाथ बेचैन है, समर्थन देने को आप
हार कर समझ आया की जनता ही है बाप
आकड़ा छत्तीस का है , भाजपा ना आप के पास
सत्ता किसी कि न होगी जनता भई उदास
महंगाई के आगे ना काम आया मेट्रो न चमचमाती सड़के ना विकास के अंडरपास
अपने दल को छोड़ कर आये थे जो आप के पास
वोटर है सबसे बड़ा जागरूक उसने ना डाली घास
"आप" सत्ता में आये चाहतेहै शरद पवार
मदहस्त करने को किरण बेदी भी है तैयार
ऐसी सत्ता है मृगमरीजका कि तरह
दूर ही रहना आप के आम आदमी हैं मेरे यार