Wednesday, December 18, 2013

"न बदली है सोच ,न बदला है नजरिया " ==========================

न बदली है सोच ,न बदला है नजरिया। 
कुछ आदमी है गिद्ध ,कुछ है भेड़िया। 

जिन लोगो ने दामिनी को मौत ,
देने में न की थी कोई कोताही। 
हाई कोर्ट में क्यों अबतक,
धीरे -धीरे चल रही सुनवाई। 

एक नाबालिग क्रूरतम वहशी ,
दरिन्दा बच निकला। 
उसे सजा मौत की ,
न मिल पाई। 

हुये कितने स्वता :स्फूर्त जन -आन्दोलन। 
दशा आज भी न देश की बदल पाई। . 
भटक रही है आत्मा "निर्भया "की ,
अभी उसे न मुक्ति मिल पाई। . 

एक ने तो ले लिया था ,
मौत को अपने आगोश में ,
अभी चार को ,
जालिम मौत नही आयी। 

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