Wednesday, December 18, 2013

कितना घना है ,कोहरा

दिनांक 17 दिसम्बर 2013 समय 7 बजे स्थान गुड़गाँव।


कितना घना है कोहरा ,
दिखती नही है ,
तस्वीर साफ -साफ।
रोशनी कितनी अक्षम है ,
दिखते नही है ,
खड़े -खड़े है पास -पास।

कभी छटेगा ,कभी हटेगा ,
कभी तो तम घटेगा ,
की गयी किसी की कोशिशो का ,
कुछ तो असर पड़ेगा।
कभी तो बुझेगी ,
कामुक नर की ज्वाला।
कभी तो छलेगा ,
नारी के सब्र का प्याला।
बचेगी अस्मिता है,
यही मेरी -तेरी आस।
मत रो यामनी ,
मत कर ,मन को उदास 

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