Monday, September 22, 2014

स्व ० चौधरी चरण सिंह का स्मारक **********

                    *****                  स्व ० चौधरी चरण सिंह  का स्मारक **********
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               गत कुछ  दिनों से स्व ० चौधरी चरण सिंह का स्मारक बनाये   जाने की माँग  काफी  जोर -शोर से उठायी  जा रही है। इसके लिए धरना -प्रदर्शन  रैली आदि आयोजित किये  जा रहे है। अभी कुछ दिन पहले पूर्व
केंद्रीय मंत्री व राष्र्टीय लोक -दल के अध्यझ चौधरी अजित सिंह के समथर्कों का मुराद नगर में गंग नहर पर किया गया प्रदर्शन तथा दिल्ली के निवासियों को प्यासा रखने का असफल प्रयास किसी भी माने में शोभनीय
नही कहा जा सकता है।

                12 तुगलक रोड का बग़ला वर्ष 1978 में पूर्व प्रधानमंत्री स्व ० चौधरी चरण सिंह को आंवटित किया गया था। उनकी मौत के बाद उनकी पत्नी श्रीमती गायत्री देवी व अजित सिंह के नाम आंवटित होता रहा है।
अब जबकि वह 2014 का लोक -सभा का चुनाव हार गये तो केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने कोठी ख़ाली करने का नोटिस जारी कर दिया।  काफी समय बीतने पर जब कोई सुनवाई नही हुई तो पिछले हफ्ते यन ० डी ० एम० सी ०  ने बिजली -पानी  के कनेक्शन  काट दिए। मजबूरन कोठी ख़ाली करनी पड रही है। ऐसे ही अन्य गण -मान्य लोगोँ की भी कोठी ख़ाली करनी चाहिए जो लोग अभी भी नियम विरुद्ध बगंलों पर क़ाबिज़ है। इसके विषय में त्वरित कार्यवाही मंत्रालय को करनी चाहिये।

                उल्लेखनीय है कि इतने वर्षो तक "चौधरी चरण सिंह "की याद में स्मारक बनाने का विचार नही आया। जब कार्यवाही हुयी तो यह माँग उठा दी गयी। चौधरी चरण सिंह का असली स्मारक तभी निर्मित होगा जब देश का किसान ख़ुशहाल होगा। वह आर्थिक तंगी के चलते आत्म -हत्या  कर रहा है। जब तक उसको अपनी उपज न्योचित मूल्य नही प्राप्त होता तब -तक किसान नेता चौधरी चरण सिंह के स्मारक का कोई औचित्य नही है



         

Sunday, September 21, 2014

कैलाश -मानसरोवर का नया मार्ग **********

               *****                                   कैलाश -मानसरोवर का नया मार्ग **********
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          चीनी राष्ट्र पति  के भारत आगमन पर हमारे प्रधान सेवक श्री मोदी जी की वार्ता  के फलस्वरुप  चीन ने

कैलाश -मानसरोवर यात्रा का दूसरा वैकल्पिक मार्ग सिकिक्म के नाथुला दर्रे से खोलने की सहमति प्रदान की है।

यह रास्ता काफी सुगम है परन्तु थोड़ा लम्बा जरूर है। नाथुला के बाद तिब्बत के दूसरे बड़े  शहर  जियागजी से

होते हुए बेहतरीन राज मार्ग है। तीर्थ यात्री  बसो व जीपों की सहायता से सुगमता पूर्वक मानसरोवर तक पहुँच

सकते है। बूढ़े तीर्थ यात्रीयो  के लिए यह मार्ग ही ठीक है। यह कम दुर्गम है जबकि वर्तमान मार्ग जो धारचुला

होते हुए जाता है काफी कठिन है तथा प्रतिवर्ष लगभग 1000 तीर्थ यात्री ही इसका लाभ उठा पाते है।

          उत्तराखंड के लोगो दवरा इस नए मार्ग का विरोध किया जा रहा है। विरोध -प्रदर्शन किये जा रहे है। इस

विरोध के पीछे यह कारण है कि यात्रा -काल में मार्ग में पड़ने वाले पड़ाव पर लोगो को रोजगार  उपलब्ध होता है।
यदि यह मार्ग बन्द होता है तो हजारो लोगो की रोजी रोटी पर असर पड़ेगा। प्रदेश के मुख्य मंत्री हरीश रावत ने

आपत्ती दर्ज करते हुए इसे देश की जनता की धार्मिक भावनाओ के विपरीत बताया। इसके विपरीत हरिद्वार के

साधु संतो ने नए मार्ग का स्वागत किया। गंगा सभा के   प्रमुख अशोक त्रिपाठी ने भी नए मार्ग का समर्थन

किया।    जूना अखाड़े के राष्ट्रीय उप -प्रधान प्रेम गिरी ने कहा कि नए मार्ग   तो खुलते रहते है  इसमें धर्म -

विरुद्ध क्या है। नए मार्ग से लाखो श्रद्धालु  इसका लाभ  उठा पायेगे। नए मार्ग के खुलने से मार्ग में पड़ने वाले

गाँव -कस्बो के निवासियों को रोजगार -व्यसाय  मिलेगा वह भी तो भारतवर्ष का ही हिस्सा है। यह कहना की

उत्तराखण्ड के पयर्टन व्यवसाय को समाप्त करने की साजिश हे उचित नहीं लगता। उत्तराखण्ड में बहुत से

स्थल हे जिन्हे विकसित कर पयर्टन उद्योग को बढ़ाया जा सकता है। अत; यह विरोध भी मात्र विरोध करने के

लिए विरोध  करने की  श्रेढ़ी में आता है। मानसरोवर के लिए अन्य मार्ग  खोले जाने की मांग पहले भी उठायी

जाती रही है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान मार्ग भी श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी के प्रधान मंत्री  कल में  ही

आरम्भ हुआ।

Saturday, September 20, 2014

*** चीन की सधी हुई चाल *****

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*********          चीन की  सधी  हुई  चाल *****



आज दिनांक 20 सितमबर 2014  चीनी सेना के 35 जवान लद्दाख के चुमुर की एक पहाडी की चोटी पर 

फिर से जमा  हो गये है। चीनी चरवाहो  ने दम चोक में काबिज अपने टैन्ट  नहीं  हटाये है। चीन के राष्ट्र पति

चिन -फिंग  के आगमन पर तय रणनीति के त हत 300 चीनी सैनिको  ने घुस पैट कर भारतीय सीमा में हो रहें

कार्य  को रोकने का प्रयास किया। कुछ दिन पूर्व चीनी प्रधान मंत्री ली कहू यांग के आगमन के समय भी चीनी

सैनिकों ने घुस पैठ की थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2007 तक 1500 बार,सन 2013 से गत तीन वर्षो मे
600 बार वर्ष 2014 में अब तक 335 बार चीनी सैनिकों ने घुस पैठ की है। वर्ष 1914 में मैकमोहन रेखा तय की

गयी थी। उसका उल्ल्घन बराबर किया जा रहा है।

लेह से 300 कि० मी ० उत्तर पूर्व हिमांचल की सीमा से लगतें  चुमार अक्साई चीन को भारत लद्दाख का हिस्सा

मानता है जबकि चीन इसे चनिझिज यांग प्रान्त का हिस्सा बताता है। वर्ष 2006 से चीन पूरे अरुणांचल व

सिकिक्म के कुछ हिस्से पर भी अपना अधिकार बताता है। वर्ष 1962 के युद्ध में चीन ने 3200 वर्ग कि o मी 0

जमीन पर अधिकार  जमा  लिया जिसकी अब कोई चर्चा नहीं  कर ता है। गुलाम कश्मीर का कुछ हिस्सा  पाक

दवरा चीन  को प्रदान किया गया जहाँ चीन समरिक  तैयारिया करता आ रहाहै। भारत और चीन के मध्य साढ़े -

चार हज़ार किमी की सीमा अनिर्णित है।  जिसे वास्तविक नियन्त्रण  रेखा कहा जाता है। वर्ष 2003 से 17 बार

वार्ता हो चुकी है प र  नतीजा शून्य है। अब आगे और कितनी वार्ताएँ होगी पता नहीं  है।

चीनी राष्ट्र पति के आगमन के पूर्व 100 अरब डॉलर के निवेश का हल्ला था जबकि 5 वर्षो में 20 अरब डॉलर के

समझौते हुये है। भारत विश्व में एक बडा बाज़ार है। कुछ सालो से हम देखते है कि चीनी उत्पादों से भारत के

बाज़ार भरे पड़े है। घरेलू उद्धोग धन्धे उसके सामने नत मस्तक है। चीन का जोर आर्थिक रिश्तों पर है पर वह

अपनी विस्तारवादी नीतियों को छोड़ना नहीं चाहता है। चीन के राष्ट्र पति का यह कथन की सीमा निर्धारण न

होने के कारण अनजाने में चीनी सैनिक सीमापार आ जाते है।  हमारे सैनिक क्यों नहीं चीनी झेत्र में भूल से चले

जाते है।

लोक़सभा चुनाव के समय हमारे प्रधान सेवक जी ने बाहे चढ़ाते हुए चीन व् पाकको  तीखी चेतावनी दी थी कि

हमारी और कोई भी आँख उठा कर देखने की हिम्मत नहीं कर सकता। पद पर आते ही कुछ मुलायम हो गए।

वैसे पूर्व विदेश सचिव शशांक का विश्वास है कि भविष्य में दोनों देश सीमा -विवाद का हल करने के लिए

गम्भीरता से कदम बढ़ाएंगे। हमे सकारात्मक सोच के साथ सावधानी पूर्वक चौक्कना होकर आगे बढ़ना होगा।

वर्तमान वैश्विक परिस्थितयो के अनरूप भारत व चीन को एक दूसरे की सख्त जरूरत हे।


Friday, September 19, 2014

* व्यन्दावन में विधवाओ का प्रवास * =================================

                                   *   व्यन्दावन  में   विधवाओ  का प्रवास *
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मथुरा की सांसद श्रीमती हेमा मालनी  के बयान को  गलत ढ़ग से परिभाषित किया जा रहा है। भारतीय पुरातन
संस्कृति की यह एक विषम  कुरीति है कि विधवाओं का सुबह दर्शन शुभ नहीं माना जातारहा है। शुभ -काम में भी उनकी उपस्थित कुछ स्थलों पर  अच्छी।नही  मानी जाती है। विधवाओं की यह नियत तय की जाती है कि  वह शेष -जीवन केवल भक्ति -भजन  पूजा -पाट  में ही गुजार दे। पहरावे में भी सादगी,भोजन भी निर्मिष रुखा -सूखा।  न कोई आकांछा  जन्म ले। उमंग से रहित शोकाकुल  भाव,शेष जीवन कस्ट मय तरीके से  गुजारना है।

यह भी माना गया है कि पूर्व जन्म के  कर्मो के कारण इन्हे इस जन्म में विधवापन का श्राप मिला है। इसी धारणा के फलस्वरूप देश के विभिन्न प्रान्तों, विशेष कर बंगाल की विधवाओ को उनके परिवार के लोग प्राया मथुरा -व्यन्दावनमें निसहाय छोड़ जाते है। जो यहाँ मन्दिरो  में भजन -कीर्तन की मजदूरी करती है। जिसके लिए उन्हें अन्न प्रदान किया जाता है यदाकदा नौजवान विधवाओ का हर तरीके से शोषण भी होता चलता है।

उनकी संख्या प्रतिवर्ष बढ़ती जाती है ऐसे  में  अवव्यस्था भी होती  है। हमें यह प्रयास करना चाहिए कि यह कुप्रथा रोकी जाये। विधवाओ के पारिवारिक जन उन्हें सम्मान सहित घरों में आस्रय दे।

कांग्रेस विधान -मण्डल दल के नेता प्रदीप माथुर ने केवल विरोध करने के लिए विरोध करते हुए कहा कि मथुरा की सांसद के बयान से धार्मिक भावनाओ  को चोट पहुचती है। यह कैसा धर्म है घर की माँ -बहिनो को असहाय
मथुरा या किसी धार्मिक नगरी में छोड़ दिया जाये और उसके हिस्से की धन -सम्पत्ति को हड़प लिया जाये। वह शापित नारी  भीख मांग  कर जिन्दगी  बसर करे और शोषण का शिकार बने। उन्हें समाज में समुचित सम्मान
व् पारिवारिक सुरझा मिलनी चाहिये। हम सबको इस तरह की कुरीतियों का जम कर विरोध करना चाहिए  नारी को  उचित स्थान मिलना चाहिये। 

Wednesday, September 17, 2014

ई ० वी ० एम० मशीनों से आयी आवाज ************

                            ई ० वी ० एम० मशीनों से आयी  आवाज ************
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          इ ० वी ० एम ० मशीनों  से आयी  आवज़,
                                                    हमे नफ़रत  नहीं  विकास  चाहिये।
           हमें "लव -जिहाद " से मतलब   नहीं ,
                                                      हमे  आपस  में प्यार   चाहिये।
            मन्दिरो में लाऊड -स्पीकर  नहीं,
                                                       दिल मिले ऐसी आवाज चाहिये।
            मन्दिर -मसजिद में मत उलझाव हमे,
                                                        दो रोटी   का सकून   चाहिये।
            रहेगी सुरझित हमरी माँ बहिने,
                                                         इस बात का  इतिमिनानं चाहिये।
            सर छिपा  सके  मुसीबत में हमे
                                                          हो चाहे छप्पर का मकान चाहिये।    





     



देश की जनता ने ***************

                                  देश की जनता  ने ***************
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देश की जनता ने भा ० जा ० पा  ० को,
                                                          दिया  सकेँत  साफ -साफ।
गर सरकार  ने की वादा -खिलाफी
                                                     तो  न  करगे  माफ़ -वाफ।
सौ     दिनों में पर कोई करिश्मा ,
                                                      न  कर सके  हो   तुम।
सूद  सहित लौटने  को क हा  था।
                                                 मूल   भी न   पा  सके है  हम।        

महगाई भरस्टाचार   गरीबी
                                             कुछ भी   नही   हुई  है   कम।
आपस में लड़ाने का भी प्रयास
                                                 कुछ  नही  किया  है  कम।
तुम्हारे वादों  पर समर्थन दिया
                                                 है   छप्पर  फ़ाड़।
अब भी नही  सुधरे  तो
                                          वापस लेंगे   हण्टर   मार्।

     

Tuesday, September 16, 2014

अच्छे दिन -अच्छी बात ***************

                                 अच्छे  दिन -अच्छी  बात ***************
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             अच्छे दिन -अच्छी  बातें अच्छे  परिणाम।
                                                  यू ० पी ० की जनता  को सपा ० का शत -शत  प्रणाम।
              दिया  महत्व  तुम्हारे विकास को जनता  ने ,
                                                   कहीं अखिलेश करने न लगना तुम विश्राम।
                अब तुम्हे सत्ता की दादागिरी को रोकना होगा
                                                     छुट भईये कही  न  करदे तुम्हे बदनाम।    
                 कड़े प्रशासन से कर दो अपराधियों की नीद  हराम
                                                      प्रदेश के और  विकास में लगने न  पाये विराम।



(यू ० पी ० के उप -चुनाव में सपा की जीत पर )

Tuesday, September 9, 2014

राजनीति में हमेशा दो और दो चार नही होते ****************

                                           राजनीति  में हमेशा दो और दो चार नही होते ****************
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                              राजनीति में हमेशा दो और दो चार  नही होते। कल तक जो थी बात  गलत अवसर बदलने पर वही बात सही हो जाया करती है। बिहार में  लालू यादव  व् नीतेश में थे छत्तीस का  आँकड़ा  आज तिरेसठ  में  बदल गया है। ममता दीदी ने वाम पन्थी यो को सत्ता से बेदखल किया आज एका की गुहार लगा रही है। उत्तर -प्रदेश में भी सपा ने मायावती का राजपाट हस्तगत कर लिया। अब बिहार की तरह सपा  बसपा का गठबंधन  की आवाज़ उठती जान पड़ती है।

                                जिन नीतियों का भा  जा  पा हमेशा से विरोध करती आयी है। उन्ही कार्यक्रमों व नीतियों को नई चमक -दमक के साथ लागू करने में कांग्रेस के कान काट  रही है। जिन कार्यक्रमों को कांग्रेस अपने शासन काल में लाना  चाहती थी। आज उन्ही का विरोध कर रही है अज़ब घाल -मेल है। लोक -सभा के चुनाव के पूर्व दिल्ली  राज्य के चुनाव सम्पन्न हुये। भा  जा  पा  सबसे बड़े दल के रूप में विजयी हुई। उस समय सरकार बनाने से इस लिए मना कर दिया की उसे स्पष्ट बहुमत नही है। जोड़ -तोड़ की सरकार नही बनायेगे। छै माह के गवर्नर शासन के पश्चात जबकि उसके तीन विधायक सासंद  बन गए यानिकी सख्या  घट गयी। अबकौन  सी  तरकीब से कौन से हिसाब से सरकार बनाना न्याय सगंत हो गया।

                                   यदि आप प्रदेश को  चुनावी  खर्चे  से बचाना  चाहते  है तो  क्यों  नही ऐसी व्यवस्था  लाते है   कि उप -चुनाव  की भी आवश्य्कता समाप्त हो जाये। पिछले  चुनाव में  जो रनर यानिकि दूसरे स्थान पर रहे है  उन्हें प्रथम स्थान वाले किसी कारण से ख़ाली करते है  तो दूसरे स्थान पाने वाले को अवसर प्रदान करना चाहिये। वैसे भी भा  जा  पा  को  चुनाव में जाना चाहिये। डर किस बात का मोदी जी तो अब विश्व   के नेता हो रहे है। ---------जय हिन्द            .      

क्यों नही होती कोई ऐसी व्यवस्था *********

                                         क्यों  नही होती कोई  ऐसी  व्यवस्था *********
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एक सत्तर-साल की बूढ़ी महिला जिसकी जर्जर  थी काया,
चार पहियों के ठेले को चढ़ाई पर ठेलते हुई,
हाफती हुई जिन्दगी के ढाल पर चली जा रही लुढकते हुई।
इस उम्र में भी उसे करनी पड़ती है अथक मेहनत दो जून की रोटी के लिए।
मकई के बाले भुनती है। पखें से कोयलो को दह काती  है।
मकई के बालो से निकले सफेद कत्थई  रेशे उसके सिर के केशों से मेल खाते  है।
कोयलों की राख  उसके चेहरे पर फैल  जाती है।

क्यों नही होती कोई ऐसी व्यवस्था ताकि जीवन के सन्धया -काल में जी सके कोई आराम से।
सामाजिक - सुरझा के नाम पर है बहुत सी योजनाये।
क्या उनका लाभ सही लोगो तक पहुँच पायेगा।
यह विचारणीय  ज्वलन्त प्रश्न सुलग रहा है  हर एक के मन में। -------------------------------

Saturday, September 6, 2014

सितम्बर माह का पहला सप्ताह ************

                                              सितम्बर  माह का पहला सप्ताह ************
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               सितम्बर माह का पहला सप्ताह,
                                                              खत्म हुआ  लम्बा  इन्तजार।
                सूर्य का हठ था,हार नही डटा रहूँगा,
                                                               बदलो ने भी की  खूब बौछार।
                  खिली -खिली मनचली धूप भी थी,
                                                                लेकिन मेघो ने भी नही मानी हार।
                 झूम कर बरस रही थी बरखा,
                                                         खेतों में मनाने लगे  लोग त्यौहार।
                 कही -कही भीषण सूखा रहा कायम,
                                                             कही  होती रही  ज़ोरदार बरसात।
                 बादलों ने भी सूर्य से की लुका -छुपी,
                                                                   वह खेल -खेल में करते मनुहार।         

गौमुख से गंगासागर ***************

                                                  गौमुख से गंगासागर ***************
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                         माँ गंगा की सफ़ाई पर सर्वोच्य -न्यायालय ने,
                                                                                         उठाये कुछ  सवाल।
                          मौजूदा तौर तरीकों से तो गंगा को स्वच्छ होने में
                                                                                          लगेंगे दो सौ  साल।
                           निर्मल गंगा,अविरल गंगा का नारा,केन्द्र के,
                                                                                          लिये  बन गया बावल।
                           देश की सभी नदियों को स्वच्छ करने में,
                                                                                     लगेंगे ऐसे हजारों  साल।
                            वर्ष उन्नीस सौ छियासी में प्रारम्भ हुआ था,
                                                                                     गंगा निर्मलीकरण अभियान।
                            अट्ठाइस वर्षो में जनता के तेरह हज़ार करोड़,
                                                                                       रुपये का हुआ कल्यान।
                              गौमुख से गंगासागर पच्चीस सौ किलोमीटर में,
                                                                                         है गंगा का यात्रा मार्ग का निशान।
                            गाँव -गाँव कस्बे -कस्बे  शहर- शहर  का
                                                                                          कचड़ा होता है गंगा में प्रवाहमान।                

Wednesday, September 3, 2014

कसम है मोदी तुमको **************

                                              कसम  है मोदी  तुमको **************

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                दबी -छुपी  ज़ुबान  से क्यों  क़ह रहे  हो,
                चीन  को विस्तारवादी।
                 वह  तो स्वयं सिद्ध है विस्तारवादी।
                  पहले तो हड़पा  तिब्बत को,
                 उन्नीस सौ 62 में
                  सैकड़ो वर्ग मील धरती भारत  की
                  कब्जियाई।
                  यदा -कदा  दावा ठोकता है,
                  अरुणांचल में उसको जरा भी,
                  शर्म  नही  आयी।
                  हाथ  मिलाया नापाक पाक से
                   आज़ाद कश्मीर की धरती  भी,
                   उसके कब्जे आयी।
                   लोक -सभा के चुनाव में,
                    बहुत बाँह  सिकोड़ी  है,
                   छाती आपकी सबसे ज्यादा चौड़ी है।
                    आ रहे है चीन के प्रधान -सेवक,
                    कसम है  मोदी तुमको
                     जो धरती  न उनसे छुड़वाई। 
 





           

Monday, September 1, 2014

अब तेजी से होने लगे है खाली **************

                                  अब तेजी से होने लगे है खाली **************
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             स्विस  बैंको  के खाते  अब तेजी से होने लगे है खाली।

              रामदेव व अन्ना,मोदी ने खूब है   बजवाई   है ताली।

               देशो में  जब सूचनाओं  की होने  लगी अदला -बदली।

                भारतीय काले जमा कर्ताओ में मच गयी खल -बली।

                जब से मचा  है  हल्ला,स्विस बैंको में है धन   काला।

                  छै वर्षो में   25लाख  कऱोड रूपया लोगो ने है निकला। 

Saturday, August 30, 2014

अटल -आडवाणी -जोशी त्रिगुट को **************

                                  अटल -आडवाणी -जोशी त्रिगुट  को **************
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              अटल -आडवाणी -जोशी  त्रिगुट को
                                                          मिला कोरा   सम्मान।
               दयावश "मार्ग दर्शक मण्डल "
                                                           में मिला  उन्हें स्थान। 
                मिला उन्हें स्थान,पीछे छूटा
                                                         मार्ग मात्र दर्शक ही रहेंगे।
                लौह -पुरुष की प्रतिमा टूटी,
                                                         मोम  बन कर  ही रहेंगे।
                 जब मन होगा तो   अध्यझ
                                                          ले लेंगे   उनकी भी राय।
                 रहेंगे ऐसे जैसे  गौशाला में,
                                                          रहती बिन दूध  की गाय।    
                  मान  रखने को नरेन्द्र मोदी,
                                                          राजनाथ  बन गए साथी।
                   अच्छा है दिखाने को पर रहे
                                                           मौन जैसे गुजरा बराती।    

चरण दबा -दबा कर बन गए सन्त ************ =====================================

                                                      चरण दबा -दबा कर बन गए सन्त ************
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चरण  दबा -दबा  कर बन  गए सन्त,
                                                     गला  दबा  कर हुये   महन्त।
कुछ ऐसा हो रहा है आज मेरे भारत,
                                                    में  उदाहरण   है ज्वलन्त।
गुरु आडवाड़ी  जी के   चापे  चरण,
                                                    बन गए  राजनैतिक  सन्त।
मार्ग -निर्देशक बना उन तीनो  को,
                                                    खुद ही मोदी  बन  बैठे महन्त। 
सत्ता और पार्टी   में बै ठ1 दिये,
                                               अपने लोग दिखावटी है जन-तन्त्र।
आवाज़ विरोध में कोई उठे ही  नही,
                                                  ऐसे  किये  जा रहें  है  तन्त्र -मन्त्र।
                                                     

Thursday, August 28, 2014

प्रकाशनार्थ :-

सम्पादक  के नाम पत्र
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वित्तीय  समावेशन हेतु राष्ट्रीय  मिशन के अन्तर्गत "प्रधान -मंत्री  जन -धन -योजना के अनरूप  राष्ट्रीय स्तर पर जन -समान्य के बचत खाते शिविर लगा कर खोले जा रहे है। यह बहुत अच्छी योजना लग रही है। आम -जनता,ग़रीब  शोषित पीड़ित जन जिन्होने स्वप्न में भी नही सोचा होगा कि वह बैकिंग  सेवा का लाभ उठा पायेगे। उन्हें यह अवसर प्राप्त होगा। साथ ही साथ योजना से जुड़े लाभ भी प्राप्त कर पाएंगे। निश्चय ही इस योजना के योजनाकार साधुवाद के पात्र है।

साथ ही एक प्रश्न जो अनुत्तरित है कि इस योजना के पूर्व लाखों लोगो ने "मनरेगा "की मजदूरी प्राप्त करने हेतु अपने बचत खाते बैंको  में खोले है। इन्दिरा -आवास योजना वृद्धो व विधवा  पेन्सन प्राप्त करने हेतु भी करोड़ो लोगो ने अपने खाते विभिन्न बैंको में खोले है। क्या इस योजना के लाभ प्राप्त कर पायेगे। क्योकि बैंको को निर्देश है कि उनका खाता इस योजना के तहत न खोला जाये जो पहले से खाताधारक है।

   
                                                                                                  दिनेश कुमार अवस्थी
                                                                                            सी ४७७/ ऐ  इन्द्रा नगर  लखनऊ 

Tuesday, August 26, 2014

चिल -चिलाती सी धूप ************* =================================

                                   चिल -चिलाती सी धूप *************
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       चिल -चिलाती सी धूप,
                                        तीखे खंजर सी काटती है  देह।
        नीले -नीले अंबर में  जाते है
                                         गुजर जाते   खाली -खाली  मेघ।
         बादलों  ने की है बस,क्यों
                                          मैदानी इलाकों से है बेवफ़ाई।
         झूम के बरसे पर्वतो पर,
                                           पहाड़ों  पर  ही बस बरखा आई।
          नालियों में लोटते पोटते है
                                            प्राया  नर -मादा  स्वान
           अगस्त में मई -जून सी गर्मी,
                                             ऊष्मा  से  होते है परेशान।
           शूकर,महिषा लोटते कीचड़ में,
     -                                       सड़ी गरमी  से परेशां इन्सान।
            पथरा गए  है सूखे नयन,
                                              काल -कलवित हुए  अरमान।

              

Tuesday, August 19, 2014

ये तो है पूँजीपतियों की सरकार ************* ================================

                                   ये तो है पूँजीपतियों की सरकार *************
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बाद चुनें जाने के राष्ट्रीय अध्यछ भा ० जा ० पा ० के,
                                                   आगमन अमित शाह का लखनऊ में प्रथम  बार।
पूरे प्रदेश के कार्यकर्ताओ व नेताओ की भीड़ सड़को
                                                    पर कोलाहल,पोस्टरों व बैनरों   की भरमार।  
पूरा हो चूका है एक नारा,सबको देखा बारबार  हमको
                                                      देखो एक बार ,अबकी बार मोदी की सरकार।
अभी सामने है चुनौतियां उप चुनावों की दो हजार सत्रह
                                                        में बननी है यू ० पी ० में भगवा   सरकार।
जनता परेशान  जैम से,किसी को जाना कही,
                                                         बेबस जन कर रहे राह खुलने का इन्तजार।
इतने ताम -झाम भीड़ दर्शाती है,कि भा  जा  पा
                                                         आम लोगों की पार्टी नही ये तो है पूजीपतियों की सरकार।  
     

Monday, August 18, 2014

कोई फ़ौज नही आएगी ************* ============================

                                        कोई  फ़ौज  नही आएगी *************
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                   भ्र्ष्टाचार  से लड़ने कोई फौज  नही आएगी
                   यह सच है,बात अब लोगों  को समझ आएगी।
                    हमें खुद ही भरष्ट -आचरण  से बचना होगा।
                     हमें तुम्हें बचाने के लिये कोई फ़ौज नही आएगी
                    नही सहेंगे अब व्यवस्था  की हम मनमानी,
                     करेंगे विरोध तो जनता  हमारे साथ  आएगी।
                     खड़े  होगे जब नित नए बड़े जन -आन्दोलन।
                      डर के कोई भी हो सरकार  भी  सहम जायेगी।
                       बाध्य  होकर लागू   करेगी सही जन लोकपाल।
                        दूर  होगा भरस्टाचार  तभी जनता  जीत पायेगी।                            

कौन कहता है कि -------- ====================

                                            कौन  कहता  है कि --------
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कौन  कहता है कि  आप  चल  नही सकते,
                                                                 ज़रा हिम्मत  तो बढ़ाओ,तो कोई बात बने।  
सुप्त -लुप्त हो गई आन्तरिक ताकतों  को,
                                                                 उन्हेँ फिर से जगाओं  तो कोई   बात   बने।
उम्र दराज़ होने का शरीर पर असर पड़ता है,
                                                                  यौवन फिर  से  ले आओ तो कोई  बात बने।
इतिहास,पुराण गवाह है वृद्ध जवान होते है,
                                                                   कोई संजीवनी   ले आओ तो कोई बात बने।
ययाति ने भी माँगा  था  यौवन    पुत्रो  से,
                                                                  बिता वक़्त वापस ले आओ तो कोई बात बने।
निकाल   फेंको   तनाव अपने जीवन   से,
                                                                  देखों   हो जाओगे   जवान   तो  कोई बात बने।  






     













बढ़ते ही चलो अजेय की तरह *********** ==================================

                                         बढ़ते ही चलो अजेय की तरह ***********
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    सफलतायें तो अवश्य मिलती है,
     असफलताओ के  पडावों से गुजर कर।
     असफलताये बताती है,
     कमी है कार्यो व साधनों में,
      सोचों  तो जरा  रुक कर।
     
       पुरज़ोर ढ़ग से जुट जाओ,
       कर्म यज्ञ में
       साहस  और लगन  से जुड़ कर।
   
        बढ़ते ही चलो अजेय की तरह,
        आगे ही आगे,
         कभी न देखो पीछे  मुड़ कर।  



Saturday, August 16, 2014

भारत के जन गण का अपमान

                                          भारत   के   जन  गण   का
                                                       अपमान
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          15 अगस्त 2014 को  भारत के 68 वे स्वतंत्रता -दिवस पर ऐतिहासिक लाल -क़िले पर राष्ट्रीय  समारोह के लिये दिल्ली में अभूतपूर्व सुरझा इन्तजाम किये गये थे। दूसरी तरफ़ प्रधान -सेवक मननीय प्रधानमन्त्री मोदी जी ने किसी तरह की बुलेट प्रूफ ढाल  के बिना पूरे विश्वास के साथ सार गर्भति सम्बोधन किया। कहने का अर्थ यह है कि उन्हें गोली का डर नही था।
           
            पंजाब -केसरी -दिल्ली में प्रकाशित समाचार से ज्ञात हुआ कि पता नही किसके निर्देश के अन्तर्गत मुस्तैद सुरझा कर्मियों ने प्रधान -सेवक का सम्बोधन को सुनने के लिये लाल-किले की ओर जाने वाली जनता की काली बनियाने  व काली जुराबो  को उतरवा लिया। जिससे की भारत के जन -गण  को भारी परेशानी व अपमान सहना  पड़ा।

               यह कैसा  लोक तन्त्र है ? जहाँ मालिक की बनियाने ,जुराबें  सरे -आम उतरवा लिए जाये। वह भी प्रधान -सेवक के  सामने। शायद सुरझा कर्मियों  को यह अन्देशा हो कि कोई व्यक्ति विरोध प्रकट करने के लिये झण्डे के रूप में उसका दुरूपयोग  न करने लगे। हम यह कहना चाहते है कि वर्षा -काल में यदि आकाश में काले -काले बादलों का आगमन हो जाता तो क्या सुरझा कर्मी उन्हें रोक लेते। कोई मुस्लिम नारी काले बुरक़े में आती या सिंख सम्प्रदाय   के किसी नागरिक ने काली पगड़ी पहन रखी होती तो क्या वह इसे भी उतरवा लेते। हमारी समझ में नही आ रहा हे कि काली बनियाने व जुराबें इतनी ख़तरनाक हथियार बन सकती है जिससे सुरझा को ख़तरा पैदा हो जाता।

             

शिक्षक है ?या है हैवान ?***********

                                               शिक्षक  है ?या  है हैवान ?***********
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             हमारे देश की  प्राचीन सभ्यता में गुरु का स्थान ईश्वर  के ऊपर माना गया है। शिक्षा का दान,महा दान माना गया है। "गुरु गोविन्द दोऊ खड़े,काके लागू पाय। बलिहारी गुरु आपने जिन गोविन्द दियो बतायें ".
वैसे आधुनिक उपभोक्तावादी संस्कृति में स्थितियों में बहुत बदलाव आया है। शिक्षा के मन्दिर  आज अर्थ उत्पादन के केन्द्र बनते जा रहे है फिर भी शिक्षकों  का सम्मान इतना नही गिरा है।  हम शिक्षक -दिवस मनाते है। गुरु पूर्णिमा  के दिन हम उन्हें पूजते है।
               
               दिनांक 14 अगस्त 2014 को हिन्दुस्तान  समाचर पत्र में प्रकाशित ख़बर के अनुसार राजकीय इण्टर कालेज़ निशातगंज लखनऊ में हुई घटना शर्मनाक है। 10 वी कक्षा का छात्र सन्तोष शर्मा को इतनी बेहरमी से पीटा गया कि उसे अस्पताल ले जाना पड़ा। पीटने के पश्चात जब छात्र ने अपने घर मोबाईल से सूचना देनी चाही तो फोन छीन लिया गया। इस प्रकरण में के ० पी ० सर नामक  शिक्षक ने लात घुसो व डण्डे से बुरी तरह दण्डित किया। यह कार्य निश्चय निन्दनीय है। वे शिक्षक  के नाम पर काला धब्बा है। इस तरह के बर्बरता पूर्ण किस्से अक्सर पढ़ने  में आते है। किसी छात्र के ग़लती करने पर उसे सुधार  के लिये दण्डित किया जाना  तो गुरु का अधिकार है पर इस तरह का प्रकरण यह दर्शाता है की वह व्यक्ति मानसिक रोगी है। उसका स्थान विदयालय में नही कहीं और है।
                 इस प्रकरण कीजांच  होनी चाहिये। दोषी को दण्डित किया जाना चाहिये ताकि अन्य लोगो के लिये सबक हो। 

Friday, August 15, 2014

जगमगाये भारत प्यारा देश हमारा *********** ===================================

                                          जगमगाये  भारत प्यारा देश हमारा ***********
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                    पहले देश  में हुयी  थी,हरित क्रान्ति,
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                     पश्चात राष्ट्र में  सफ़ल हुई  श्वेत क्रान्ति,
                                                               दुग्ध से नहाया हर्षाया मेरा भारत     सारा।
                       आओ हम सब मिल संकल्पित हो ,
                                                                  नई ऊर्जा  क्रान्ति के लिए दूर भगाए अंधियारा।
                         गाँव -गाँव -बस्ती -बस्ती  रोशन हो,
                                                                    जगमगाये भारत   प्यारा देश   हमारा।
                                                                    

Wednesday, August 13, 2014

ढलते हुए विदा होते सूरज के साथ ***********

                                ढलते हुए विदा होते सूरज के साथ ***********
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          ढलते हुए,विदा होते सूरज के साथ,
          मयखाने  गुलजार होते है।
           जाम से जाम खुले आम टकराने  के साथ,
          खयलो  में    वो     हमराज होते है।
           तरंगे उठके आती है,विचारों के आने के साथ,
           हम उनसे दो -चार होते है।
          सुलझ जाती है न जाने कितनी उलझने,
           जब वो सुरूर के साथ होते है।
          दुश्मनी भी बदल जाती है दोस्ती में,
           जब जाम  के साथ जाम होते है।
            दूरियाँ तो बदल जाती है नज़दीकियों
           जब हम  उनके  साथ  होते है। 

दुनियाँ को कर लो अपनी मुट्ठी में ************ ==================================

                                           दुनियाँ को कर लो अपनी मुट्ठी में ************
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दुनियाँ को कर लो अपनी मुट्ठी में
इसके लिये बस पूरे,
जोश और जुनून से जुट जाओ,
तो कोई बात बने।
बड़े लझय को पाने को बनाओ,
छोटे -छोटे लझय,
प्रतिदिन उन्हें पूरा करते जाओ,
तो कोई बात बने।
हार से न हो उदास,
करो जतन पुरजोर तरीके से,

हर हार को जीत में बदलने
की आदत बनाओ,
तो कोई बात बने।
यह न सोचों कि तुम कर नही
सकते,करके संकल्प,
जीवन समर में उतर जाओ,
तो कोई बात बने। 

Tuesday, August 12, 2014

पाक में खुला जंग लड़ने की **********

                                   पाक में खुला जंग लड़ने की ************
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                 माना कि पाक में खुला जंग लड़ने की हिम्मत  नही,
                  नापाक घुसपैठियों को सबक़ सिखलाओ,
                   तो कोई बात बने। 
                   केवल भाषणों से देश की सीमाओं की सुरछा न करो,
                  ग़ुलाम कश्मीर को आजाद करवाओ,
                   तो कोई बात बने। 
                   भरस्टाचार से लड़ने की तेज मुहिम तो ठीक  है,
                   लेकिन,अंबाणी व अदाणी को जेल भिजवाओ,
                    तो कोई बात बने। 

                     कर्ज तो ले रहे हो प्यार का देश के हर हिस्से  से,
                      किस्तों को जरा जल्दी -जल्दी  निपटाओ,     
                      तो कोई बात बने। 
                       

दूध का दूध --पानी का पानी ************ =============================

                                दूध का दूध --पानी का पानी ************
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      स्मारक घोटालें  में खुलती जा रही है परतें।
                                     हर  परत, दर परत  वह जा रहे है  उघरते।
        प्रवर्तन  निदेशालय  की बढ़ेगी आगे अब जाँच।
                                      बड़े  नेताओं व आकाओं  तक पहुँच सकती है आँच।

         देखो ये  न फ़से,देख़ो वो  न बचें ऐसे की  है  बात।
                                       होगा  दूध  का दूध,पानी का पानी  न चलेगी कोई घात।      
         

तुम्हें देखें सारा ज़माना ************

                                        तुम्हें  देखें  सारा ज़माना ************
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                   दुश्मनों  का काम है सदा,सरे राह काँटे बिछाना।
                                                        हमारा  काम है चतुराई  से बचके निकल जाना।
                    काँटों को क्यों न  बना लो,तुम सुई  अपनी बनाना।
                                                         कटी -फ़टी हुई तक़दीर को,बस उसे ही सिलवाना।
                     कुछ इस तरह सिलना अपनी तकदीर  को तुम।
                                                          तुम यूँ देख़ो   जमाने को,तुम्हें  देखें सारा जमाना।        

Sunday, August 10, 2014

सत्ता धरी दल व वी ० आई ० पी ० की सहेली है *********** =========================================

                                   सत्ता धरी  दल व वी ० आई ० पी ० की सहेली है ***********
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             काकोरी में पिस्तौल दिखा,
              अंग्रेज़ो की कभी ट्रेन लूटी  थी।
              आज तो गुंडों ने पिस्तौल दिखा,
              दम्पति  से चेन   लूटी है।
              यह इस शहर की कोई नई
              घटना  नही पहली   है।

              गुण्डो के कारनामो  से मेरी
               राजधानी  लखनऊ दहली है।
                कौन  सुरछा देगा हम आम
               नागरिकोँ को अज़ब पहेली है।
                यहाँ की पुलिस तो बस,
               सत्ताधारी दल व वी ० आई ० पी ०
                की सहेली  है।


                

Saturday, August 9, 2014

महँगाई भरष्टाचार से देश *************

                             महँगाई  भरष्टाचार से  देश *************
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जनता ने की हमसे आशाओं पर खरे उतरेंगे।
                                    हम निश्चय ही  निराशाओं के पार उतरेंगे।
अब और अधिक देर नही है,अन्धेरा  मिटेगा।
                                     पूरी दुनियाँ में हमारे देश का ही डंका बजेगा।
देश की  स्थित बदलने लगी है  चन्द दिनों  में
                                      हम बदल देंगे  हालतें -सूरत  चन्द दिनों में।

देश मेरा जब पूर्ण तया  भा ० जा ० पा ० युक्त  होगा।
                                      तो भारत स्वयं ही शीघ्र   कॉग्रेस मुक्त होगा।
देश का सामान्य नागरिक बाट जोह रहा है
                                       महँगाई,भृष्टाचार  से देश क़ब  मुक्त होगा। 

Friday, August 8, 2014

आँखो --आँखो में बात होती है *********** =====================================

                                 आँखो --आँखो   में   बात होती   है ***********
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हाथ बढ़ा कर, हाथ मोहब्त   का  थाम लो तुम।
दिलवालो मत हो हताश,परेशान न हो गुम सुम।
प्यार में अपने आप  सब कुछ  समझ आता है।
प्यार अपने आप को दिल से दिल में समझा  है।
एक दूसरे को कुछ  बताने की जरूरत नही होती।
सब कुछ सामन्य होता आँखो -आँखो में बातहोती।  

Thursday, August 7, 2014

सियासी अदावतो को दोस्ती में ***********

                                           सियासी अदावतो को दोस्ती में ***********
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सियासी अदावतो को दोस्ती में,
बदल जाने में वक़्त नही लगता।
नीतीश मिले लालू से,
मिली ममता लाल सलाम वालो से,
एक दूसरे को समझने में
वक़्त नही लगता।
अमर ने भी कहा,
"मै मुलायम वादी हू,
दोस्ती में बदलने की,
मुहिम कोई रोक नही सकता।
राजनीति में कब दुश्मनी,
दोस्ती में बदल जाती है,
इसमें कुछ वक्त नही लगता।


पहाड़ों का पानी व जवानी ********( =================================

                                       पहाड़ों का पानी व जवानी ********(
                                  =================================
कहावत है कि,
पहाड़ों के काम नही आता,
पहाड़ों का पानी है।
बरसात में बन के क़हर टूटता,
पहाड़ों का पानी है।
न बचती है जिन्दगी,
बहा ले जाती है,
घरों की निशानी है।

न ही काम आती है,
पहाड़ों की जवानी है,
पहाड़ों के जवानों का,
पलायन अभी जारी है।
वहाँ के लोगों को,
वहाँ काम नही मिलता,
पलायन उनकी लाचारी है।

सरकारी आंकड़ों में ख़ुशहाली,
सब सजावटी है,
अकसर आंकड़े सच्चे नही होते,
ख़ुशहाली का दावा दिखावटी है।

Wednesday, August 6, 2014

विलम्ब से मिला न्याय -- न्याय नही है !***********

                         विलम्ब  से  मिला  न्याय -- न्याय  नही  है !***********
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हमारे  देश की  ससंद में पाँच सौ तेतालिस सासंद  है। इनमे से तिरेपन सासंदों के ख़िलाफ़ क्रिमिनल केस  तय हो चुके है। यानिकी दस प्रतिशत जन प्रतिनिधि  आरोपित  है। "दागी सांसदों और विधायको  के केस एक वर्ष के भीतर निपटाने की पहल  होनी चाहिये ---सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से फ़ास्ट ट्रेक कोर्ट बनाने की मांग करेंगी "..यह बयान मोदी जी के चुनावी भाषणों व ससंद में दिए बयान में उठाया गया है। 

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने  कहा कि "समस्या का हल केवल किसी एक वर्ग के केस फ़ास्ट ट्रैक करने से नही निकलेगा। इससे बाक़ी मामलों पर असर पडेगा। पूरी आपराधिक न्याय व्यवस्था में सुधार की जरूरत है। "
बात अपने आप में शत -प्रतिशत सही है। हमारी न्याय -व्यवस्था  में न्याय समय से नही मिल पाता है। -----
मिलती है केवल तारीखें। सिविल के मुकदमें पुस्त दर पुस्त तक चलते रहते है। आपराधिक मुक़दमों में कभी -कभी निर्दोष फ़स कर अपनी जिन्दगी का एक लम्बा हिस्सा हवालातो में गुजार देते है। वहीं दूसरी तरफ अपराधियो को इस लम्बी थकाऊ व्यवस्था से सन्देह का लाभ मिल जाता है। गवाह आदि की भी मौत हो जाया करती है अथवा बहकाये जाने का पूरा अवसर मिल जाता है। इससे अपराधी मुक्त हो जाया करते है।
समाज में न्याय प्रक्रिय विश्वास उठ जाने के फलस्वरूप लोग हतोसाहित  हो जाते है। अपराधी -अपराध कर चैन कीवंशी  बजाते है। मन में उनके भय समाप्त हो जाता।है।

जन -प्रतिनिधियों  के ख़िलाफ़ चल रहे मामलोँ में भी एक चुनाव के बाद दूसरा चुनाव आ जाता है पर फ़ैसला नही हो पता है। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के संसद में बयान के अनुसार  तीन करोड़ तेरह लाख केस देश की अदालतों में लम्बित है। तिरेसठ हज़ार आठ सौ तेतालिस मामले सुप्रीम कोर्ट में चल रहे है। चवालीस लाख बासठ हज़ार मुकदमें देश के चौबीस हाई कोर्ट में लड़े जा रहे है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में पच्चीस लाख केस पेन्डिंग है। अब यह अन्दाज लगाना कठिन नही होगा कि मौजूदा ढांचे में फैसले कब तक आयेंगे।

कहावत है कि "विलम्ब से मिला न्याय -----न्याय  नही है। अब यदि मोदी सरकार इसमें मूलभूत बदलाव लाना चाहती है तो राज्य सरकारों के साथ मिलकर और अधिक न्यायालय व कर्मचारी तथा अन्य व्यवस्थाओ को अति शीघ्र करना चाहिये ताकि देश के नागरिको को त्वरित न्याय  प्राप्त हो सके। तभी इस समस्या का निपटारा हो सकेगा। 

रियासत की सियासत **********

                                         रियासत  की सियासत **********
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रियासत की सियासत भी अज़ब चीज़  है यारों,
इसकी भी एक अपनी शैली   होती है।

जो करे किसी बयान में किसीको इनकार,
उस बात में वास्तव में उनकी  हाँ होती है।

सत्ता पझ में रहते जो कुछ ठीक  लगता है,
 विरोध -पझ की तो   हमेशा   न  होती है।

इसी तरह चल रहा  है मेराप्यारा  लोक-तंत्र,
ससंद  में प्राया: उठा -पटक भी  होती है।  

धधकती चिताएं ************

                                                धधकती  चिताएं ************
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धधकती  चिताएं,
नव -विवाहितो की पूछती जग से,
दहेज़ का ज़ालिम दानवी  मुँख,
कब तक बन्द  होगा।

कई नव -विवाहिते गुजर गयी,
जीने की हसरतें लिये,
उनके जीने की राह का,
बन्दोबस्त  कब  होगा।

दहेज़ की मांग को लेकर,
प्रतिदिन सतायी जाती है क्यों ?
लालची इन्सानो की,
हवस का अन्त कब  होगा।

नाग -पंचमी  के दिन,
गुड़ियों को पीटा जाता है क्यों ?
आदम जमाने से चला आ रहा,
चलन कब बन्द  होगा।


Tuesday, August 5, 2014

बेटियाँ ************

                                                बेटियाँ ************
                                            ===================
बेटी बचाओ,देश बचाओं,
बेटी पढ़ाव देश को आगे ले जाओ।
ये सब सरकारी नारे है।
फ़टे पोस्टर उड़ते फिरते,
गली में मारे -मारे  है।
आज भी कूड़े के ढेर में,
फेक दे जाती नवजात मुस्काने है।
इन्सान क्या इतना बेरहम हो सकता
निज सन्तान को  फेंक दे,
सड़कों  के किनारे  है।
पूछती है नवजात किलकारी,
भर कर क्यों जन्म दे के फेंक दिया
हम तो केवल तुम्हारे सहारे है। 

अहिंसा परमो धर्मा ********

                        *********                       अहिंसा  परमो  धर्मा                ********
                                                          ====================
                                   छोड़ अस्त्र -शस्त्रों को,है शास्त्र  का रास्ता अपनाया
                                   बग़ावत रोक,किये समझौते सभी को लोक तन्त्र भाया
                                    पहले भी तो अशोक ने युद्ध रोक बुद्ध का मार्ग चलाया
                                     अहिंसा परमो धर्मा का मन्त्र सारे विश्व को है  पढाया। 

" आपकी बेटी हो अगला शिकार ************

                                " आपकी   बेटी   हो  अगला  शिकार ************

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           हम कैसे सभ्य  समाज में,
            किस तरह  रहते है,
           यह कैसा  है  इन्सानी  समाज।
           दरिन्दे  कामुक भेड़िये  टूट पड़ते  है,
           तार -तार कर देते है,
            नारी की  अस्मात।
            चूनर  इज्जत  की हम दे नही पाते,
            नग्न देह को रहता है,
             कफ़न  का इन्तजार।
              घरो में भी सताई जाती  घर की बेटियाँ,
             अनसुनी रह जाती है उनकी पुकार।

              अज़ब हाल हो रहा है,. मेरे देश  का,
              हर आधे घण्टे  में,
              बेटियों  का हो रहा है बलात्कार।
              अभी भी वक़्त है,
               उठ खड़े  हो एक साथ,हो सकती है,
              आपकी बेटी  हो अगला शिकार।






       
         

ग़रीब बिना मौत ***********

                                    ग़रीब  बिना  मौत ***********
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रहिये दूर ही,जाति -धर्म  की  राजनीति  से,
इससे सिर्फ़ और सिर्फ़  दिल ही   टूटते  है।
नफरत सी  फैल  जाती है खुश्नुमा  जहाँन में,
भाई -भाई से दुश्मनागी  निकालते   है।
.
भाईचारे का जनाज़ा निकलता है ऐसे में,
ज़िन्दगी जिन्दादिली  से महरुम रह जाती है।

कौमी  दंगो से  आज  तलक सर सब्ज़ नही
हुई है  कोई भी  कौम,
ग़रीब बिना  मौत के मारे  जाते  है। 

Sunday, August 3, 2014

वे अंधेरे दिन ********* =======================

                                          वे  अंधेरे  दिन *********
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"वे अँधेरे दिन " की लेखिका,
मोहितरमा  तसलीम  नसरीन को मिला,
दस  वर्षीय  रेजीडेन्ट  का वीज़ा।
हुये  उनके  दूर "अँधेरे दिन ,
स्वीकार हुयी लम्बे समय,
बाद  उनकी इल्तिज़ा।

वर्ष उन्नीस सौ बाणवे  को,
प्रकाशित हुई थी "लज्जा "
तब से देश बदर कर दी गयी,
तय हुई थी उनकी यही सज़ा।

हम तो लोक तन्त्र वादी  है,
हमारे यहाँ सब तरह  की आज़ादी  है,
पर यहाँ भी कटटमुल्लाओ के चलते,
बदली -बदली थी फ़िजा।

मुस्लिम वोटो  के खातिर,
शासन पूरी तरह न कर सका था स्वागत,
कई राते व् कई दिन  उन्होंने  बिताये थे,
अंधेरो में  अागत।

कौन जतन करता है ,उजालों के लिए
सच  कहने की  वहाँ इजाजत  नही। 

Saturday, August 2, 2014

ऐ मेरे देश की युवतियो ************

                                       ऐ  मेरे देश  की युवतियों *********
                                       ==========================
         
   ऐ  मेरे देश  की युवतियों,
   आबरू  ढकने के दुप्पटो  को,
    क्रान्ति  का झण्डा  बना लो तुम। 
   
    झपटने  को कोई  दुःशासन करे,
    दुस्साहस  तो,
    सैण्डिलो व  मिर्च  को,
     अपना  हथियार बना लो तुम। 

      हमेशा याद  रखो कि  तुम,
      अबला  नही  हो,
      रूप  दुर्गा का धर,
      शीश  धड़ से  उड़ा  दो तुम। 

       कानून के छिद्रों  से,
       अपराधी  प्राय :छूट जाते है,
       छूटने  के पहले ही उसे,
       दफ़न कर डालो   तुम। 

Friday, August 1, 2014

दिल्ली सबकी सांझी रियासत **********

                                दिल्ली   सबकी    सांझी  रियासत **********
 
                           =========================


     उत्तरी  व  बिहारी  घेरे  दिल्ली,कहते विजय जी।
     हरियाणा  के मूल निवासी,स्वयं है  गोयल  जी।
      लाख  छै  प्रति वर्ष  पधारें,कहते  है  गोयल जी।
      यैसी  भाषा तो  बोलते रहते है, राज  ठाकरे  जी।

      उत्तर -पश्चिम -पूर्व -दखिन से, बोले  नेता   जी।
      आज़ाद   देश  में कही  बसने  का,राईट है नेता जी।
       बानी  ऐसी बोले  की अब,हालत टाईट  है नेता जी।
       दिल्ली  सबकी है  साझी रियासत, समझें वीजे जी।





इन्सानियत ने एक दिन *************

                             इन्सानियत  ने एक  दिन *************
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इन्सानियत  ने एक  दिन,
खुदा  से  यह पूछा।
जब तूने सारे इन्सानों  को एक ही बनाया
तो धरम  के नाम पर
 आपस में,
वह क्यों   जूझा।
लहू  का रंग एक ही  है,
एक ही  है हवा -पानी,
एक ही मौज के दौर से,
गुजरती है  जवानी।
है  एक देश  के बाशिन्दे तो,
आपसी भाई -चारा क्यों  टूटा। 

मस्त है नेता जी ***********

                                   मस्त   है   नेता  जी ***********
                               ==========================



        समाजवाद  का नारा  देते,बड़का  नेता जी।
        भाई,भतीजे,पुत्र,बहुरिया  सब है  नेता  जी।
        करते नही विस्वास  किसी में अपने नेता जी।
         पुत्र  के पुत्र,पोते को अबकी  बनाया है नेता जी।
         आप लोग क्यों ?बौखला रहे है,मस्त है नेता जी।
         परिवारवाद  की जय बोलो,जय हो -नेता जी। 

भीगते हुये यौवन को **********

                                                भीगते हुये यौवन  को **********
                                            ====================



                    भीगते  हुये यौवन को,सावन  की घटा  भायी।
                     चहुँ  ओर है  रिम -झिम,बरखा  की अदा आयी।
                      वस्त्र  बदन  से चिपके,देता बदन यूही दिखायी।
                      नजरे उनकी झुकी -झुकी है शर्मीली यूही सरमाई।              

Thursday, July 31, 2014

आशिक़ी में यही रवायत है **********

                                    आशिक़ी  में यही रवायत है **********
                                   =======================                                


ख़ामोश जुबां  है उनकी सहमी निगाहें,
सब कुछ बयां  करती है। 
सरे आम वह उनसे  न  मिलकर,
छुप -छुप  के मिला करती है।

जमाने भर से ग़िला  उनको,
महबूब से गंम्भीर शिकायत है।
न  इस पल, न उस पल राहत उनको,
आशिकी  में यही  रवायत   है।


वरना शहीद हो जाओगेँ *************

लखनऊ के शहीद  पथ  पर  दिनांक 13 जून से 29 जुलाई तक  सात  गंम्भीर  दुर्घटनायें  हुई। यह  कुछ सोचने के लिए बाध्य  करती है।


                               वरना  शहीद  हो जाओगेँ *************


हादसों  का पथ है शहीद पथ,
जरा  चलना सभ्भल के,
वरना शहीद  हो जाओगे।
घर में राह देखेगी आपकी,
माँ  बहिने,
तुम अपनों से राह में
बिछुड़ जाओगे।
मना लो मातम,अपनों की
मौत का चाहे जितना,
राह की कमियों  से न जीत पाओगे।
रास्ते जाम तुम करो चाहे जितना
ये सरकार है !
इसको न बदल पाओगे। 

सोच कर शरम आती है यों ***********

                                  सोच  कर शरम  आती है यों ***********



 जो जिन्दगी  के सहारे  थे,के गुजरने के बाद,
 जूझ कर जिन्दगी  से मुस्कराती  थी  वो।
 कर के परिश्रम कठिन  दोनों समय,
 दोनों बच्चो को अपने  पालती  थी   वो।
 हमे रंज  है ये लखनऊ की "निर्भया
 हम कुछ भी  न कर सके  तुम्हारे लिये
   सोच  कर शरम  आती  है  यो।


Tuesday, July 29, 2014

लोग अपनो से बिछड़ जाते है -----------

                                लोग  अपनो  से  बिछड़  जाते  है ------


कर्फ्यू  है एक  विषम स्थित,
दंगो  के बाद इसे  लगाते  है।
यह  कैसी  है बात ,बिना जुर्म
सामान्य लोग घरो में  कैद किये जाते है।
दंगो  को तो अधम,खूँखार आदमखोर
भेड़िये ही उकसाते  है।

हिन्दू को मुस्लिम  कभी -कभी
सिखों  को  मुसलमान से लड़ाते  है।
शान्ति  तार -तार हो जाती है।
लोग बाग  बरबाद हो कर रह जाते है।

आशियाना बनाने में लगते है
अनगिनत वर्ष जो छड़ भर
में घरौदे  टूट  जाते  है।
चमन  का अमन नष्ट  हो जाता है,
लोग  अपनों  से बिछड  जाते है।

बाद दंगो के शुरू होती है,
सहानुभुति  की  लहर,
इसी  बहाने कुछ लोग
राजनीति  अपनी  चमकते  है। ।


जान बड़ी जालिम है ************ =====================

                                          जान  बड़ी  जालिम  है ************
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                  चलते -चलते  आते -जाते ,उसने  हाथ  ही तो  छोड़ा
                   कहते है साथ होता है सात जन्मों का  साथ नही छोडा
                   पल  भर में जान निकलने की तो एक  कहावत  ही है
                    जान  बड़ी ज़ालिम है ,बड़ी  मुशकिल  से निकलती है  

न सताना किसी को********** ========

                                               न  सताना  किसी  को**********
                                             ========================  



                       अपना  गम  बाट  लो ,किसी  अपने  करीबी से
                        अपने  अन्दर  की चाहतों को फिर  से सजा लो
                        ख़ुदकुशी  करना निशानी नही है जिन्दादिली की
                        सबको  बाटो  प्यार ही ,न  सताना  किसी   को। 

Monday, July 28, 2014

आहत हुआ है गंगा का उद्गम

                                     आहत  हुआ है गंगा  का उद्गम
                                    ==========================



स्वामी  रामदेव ने  अपनी  गोमुख यात्रा  के पश्चात गंगोत्री  व गोमुख  की दशा  का  जो वर्ण न  किया  है  वह निश्च्य  ही चिन्ता  का विषय है। हमने भी गत  पैंतीस  वर्षो में गंगोत्री व गोमुख की  पांच  बार  यात्रा  की  है।
जब से  गंगोत्री  तक सीधी सड़क  का  निर्माण किया गया है  तब  से यात्रियों  की संख्या  में  काफी बढ़ोतरी हुई। नव धन कुबेरों की सुख -सुविधा के लिए उच्च स्तर के  होटलों  आदि की सुविधा उपलब्ध  करने के लिए
पर्यावरण की कीमत पर कार्य  किये  गए। वनों  को  तो उजड़ा ही गया  मार्ग निर्माण में  पर्वतो  को विस्फोटकों  से तोडा  गया। उनका हृदय  दरक  गया। बढ़ते  जन कुल से उत्तपन्न  गंदगी  ने गंगोत्री से  ही  माँ  गंगा  का आँचल  मैला  करना  प्रारम्भ  कर दिया। लोग पिकनिक के मूड में यात्रा करने लगे।

कभी भोजवासा में भोज के पेड़  बहुतायत  में हुआ  करते थे। अब  उनके दर्शन  कठिन है। एक उजाड़  सा माहौल दिखाई  देता है। ग्लोबल  वार्मिग  के चलते  गोमुख ग्लेशियर  तेजी  से प्रति वर्ष  पीछे हट  रहा है।
यह सत्य  है  इस पर गंभ्भीरता  से विचार किया जाना चाहिये।

स्वामी रामदेव  ने लिखा  है कि "मेरी गोमुख की आध्यात्मिक  यात्रा  पर आपत्तिः  की गई। वास्तव में आपत्तिः यह थी कि इस वर्षाकाल के समय  जब  प्राय:मार्ग  अवरुद्ध हो जाते है,बच्चो ,महिलाओ  आदि लोगो एक  बड़ा  दल  ले जाने के लिये समय अनकूल  नही था। दल कई  स्थलों  पर रुकावटों  से दो -चार  हुआ। वैसे यह सत्य है कि चिन्तन -मनन ,तप साधना और आध्यात्मिक  यात्रा किसी की  मोहताज नही है। पर्यावरण ,हिमालय एंव नदियों को  बचाने के लिए आध्यात्मिक जगत व जन सामान्य  का सहयोग लिया जाना चाहिए। 

मुँह में ठ उ सो रोटी प्रकरण निन्दनीय

                 मुँह  में ठ उ सो  रोटी  प्रकरण  निन्दनीय
                  =================================              


महा राष्ट्र  सदन  दिल्ली  में  शिवसेना  सांसद माननीय  राजन विचारे  महोदय  ने  जो  कार्य  किया  वह  पद  की गरिमा  के अनकूल  नही  था। यदि  सदन  में कु प्रबन्धन  है , कमिया  व  गड़बड़ियाँ  है। उनको  दूर  किये  जाने  की एक   प्रक्रिया  है। उच्च  अधिकारियों  से  शिक़ायत  की जा सकती  है। सांसदो  के  विशेषाधिकार  है।            

इस तरह  किसी  कार्मिक  के मुँह  में रोटी  का टुकड़ा  डालने  का प्रयास करना ,हंगामा  खड़ा  करना  जन -सेवक  को शोभा  नही देता है। इस  प्रकार  के  कार्य  सांसद  की  इज्जत  को  कम  करते  है। आरोपी  चाहे हिन्दू या मुसलमान ,उत्तर भारतीय या  महा रास्र्ट् यन  हो  उसके ख़िलाफ़  इस तरह  के कृत्य  किसी भी प्रकार से उचित नही  है। शिवसेना  प्रमुख  का यह लिखना कि महा राष्ट्र  के मुख्यमंत्री  के मुँह  में इस तरह  की  रोटी  डालनी  चाहिए। यह भी  उनकी  गरिमा  के अनकूल  नही  है।

समाचार पत्रो  से  प्राप्त जानकारी  के अनुसार श्री विचारे  जी  ऐसे पराक्रम  के  हँगामे  खड़े  करने  में अगली  कतारों  में रहते  है। इनकी छवि  आदतन  हगांमा  खड़े करने की है इस प्रकरण  को सांप्रदायिक  रंग  देने का कार्य तो  शिवसेना के लोग ही कर रहे  है। उनका यह  कहना कि उन्हें यह जानकारी  नही थी कि आई ० आर ० सी ० टी ० सी ० के स्थानीय  प्रबधक अरशद जुनेर  मुसलमान है।  यदि वह  हिन्दू  होता सावन में सोमवार  का व्रत कर रहा होता  तो भी  यह सही  नही होता।  मेरे विचार से विचारे के इस कार्य की निंदा  शिवसेना  के लोगो वा  प्रमुख  करनी चाहिए। 

हर ख्वाहिश के बाद *********

                                   हर ख्वाहिश  के बाद *********

हर इक ख्वाहिश  के बाद ,जन्म  लेती  है  दूसरी इच्छा
तुम  गर चक्क र  में  पड़े  इनके  तो मागते रहो भिछा
करो  सन्तोष   जो है  पास तेरे मिलती है हमे यही शिछा
सांस   रुकने  न  दो अपनी कभी  करो जतन से रछा।

Sunday, July 27, 2014

सच्चे आशिक ****** भूला नही करते

                      सच्चे   आशिक   ****** भूला  नही  करते

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  मुश्किलें  हो  चाहे जितनी
 सच्चे आशिक़  यू  थका  नही  करते।
 हरि  के  नाम  की तरह
 माशूक़  का नाम  दिन -रात  जपा करते।
 देखते  ही देखते गुन -गुनाते
 नाम , लबों  पे नाम यही सज  जाता है।
 सच्चे  आशिक किसी भी
 हाल  में माशूक को भूला  नही करते। 

Friday, July 25, 2014

एक पत्थर से बिगड़ा अमन -चैन

                             एक  पत्थर  से  बिगड़ा  अमन -चैन
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लोक तंत्र  में  अपनी  आवाज़  बुलन्द  करने  का  अधिकार  हर  नागरिक  व  समुदाय  को  है। गलत नीतियों  व  कार्यो  का  विरोध  करना  हमारा  दायित्व  भी है दिनांक २५ जुलाई २०१४  को लखनऊ में  जो कुछ  भी  हुआ  वह लोक त त्र  के लिए  अच्छा  नही  हुआ।

शिया धर्म गुरु मौलाना  कल्बे  जवाद  का  आरोप  है  कि   शिया वक्फ  बोर्ड  के चुनाव  की वोटर लिस्ट  में  काफी धाँधली  की गई। उनके  समर्थको  के  नाम  काट  दिये  गए। चुनाव प्रमुख  की नियुक्ति  में भी एक  राय नही  थी। वक्फ  की जमीन पर कब्जों  के मामलों  में  जिनके नाम रिपोर्ट है  उनकी गिरफ्तारी  की जानी  चाहिए।  


मांगे  चाहे  जितनी  भी जायज़  हो जिस  तरीके  का प्रयोग किया गया  है  वह एक स्वस्थ  लोक शाही  के लिये  कलंक है। इस तरह  के प्रदर्शनों  में  अासमाजिक त त्व  सक्रीय  हो  जाते  है। मूल प्रश्न तो पीछे रह   है  हम  अन्य  मामलों  में उलझ  जाते  है। उपद्रवी  लोगो  ने  मोटर -साईकिल  व पी ० ए ० सी ० की बस  जला दी गई। वाहनों  को पलटा  गया।  जरा  सोचिये  हमने  किसका-तफ़री नुकसान  किया ? उत्तर  साफ़  है कि  हमने  अपना  ही धन  नाश  किया  क्योकि  सरकारी सम्पति ,जनता दवरा  दिए  कर  से  ही  खरीदी  जाती  है। पुलिस  पिटाई ,हथियार छीन  लेना  यह  सब  अपराध के  दायरे  में  आता  है इस  तरह  की घटनाये  प्रायi हर प्रदर्शन  में  देखने  को मिलती  है। इसके लिए  सरकार  और  प्रशासन  भी  दोषी  है  जबतक  िस्थत  उग्र  नही  हो  जाती ,शासन के  कानो में  आवाज पहुँचती  ही  नही  है।

एक ओर  जापान  का उदाहरण  है ,लोग बाह  में काली  पट्टी  बांध  कर  विरोध  प्रदर्शन  करते  है तो  शासन ध्यान देकर समस्या का  निराकरण करने का  सार्थक प्रयास  करते  है।  हमारे यहाँ  भी अहिंसक , शान्त व्यवस्था  होनी  चाहिये  ताकि लोग  दहशत , जाम  अफ़रा -तफ़री  व  चोटिल  होने  से  बच  सके 

आम -जन न रह जाये बेचारा ===========================

                                        आम -जन  न  रह  जाये  बेचारा
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   अमित  शाह  को राजनाथ  ने  सौपी  बी ० जे ०पी ० की  कमान ,
  क्यों  न  आये  गुजरात   के  चेहरे पर  मीठी  मधुर  मुस्कान।
  सत्ता  शासन  पर  है  मोदी  सरकार  के प्रमुख  निराले  प्रधान
   पार्टी  प्रमुख भी  है  मोदी  पसन्द  गबरू  गुजरती  जवान।,

   अब  तो  चारो  तरफ  बहेंगी  विकास    की बहुमुखी  धारा ,
   न  कोई  रोक , न  कोई  टोक  नई  ताकत ने  पार्टी  को उभरा।
   चारो  तरफ  है  कमल  ही कमल  सिसक  रहा  है  हाथ  बेचारा ,
   सर्व -शक्तिमान ,महा मानव  मोदी के  आगे
                                                   आम -जन  न  रह जाये बेचारा। ।