Friday, January 17, 2014

धरना देगी दिल्ली सरकार ---------------- ==================

दिनांक 17 जनवरी 2014
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भगवान भरोसे है दिल्ली की सुरक्षा,
यह है मुख्यमन्त्री केजरीवाल का विचार।
कानून मन्त्री सोमनाथ दिल्ली सरकार
पुलिस से बार -बार करते रहे गुहार
है ए ० सी ० पी ० पुलिस हेकड़, है हनक दार
है उनके पीछे लगता कि है केन्द्र सरकार।
गृह मंत्रालय के समक्ष धरना देंगी दिल्ली सरकार
यह है मुख्यमन्त्री केजरीवाल का विचार। । 

Wednesday, January 15, 2014

राहुल गाँधी को घोषित करो ==================

दिनांक 16 जनवरी 2014
इलाहाबाद के फूलपुर कस्बे में लगे एक पोस्टर के सौजन्य से 
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राहुल गाँधी को घोषित करो,
प्रधानमन्त्री पद का उम्मीदवार। 
बहन प्रिंयका बने देश में,
डूबती नाव काग्रेस की खेवनहार। 
स्तुति करते मायूस काग्रेसी,


सोनिया मइया अब करो उपकार। 
अभी तक मोदी ही था देश में,
ताल ठोक -ठोंक कर रहा था ललकार। 
दिल्ली में "छाडू "फ़ेर कर निकला,
अमेठी आ पहुँचा है कुमार विशवास। 

ख़ुद ही चुक जाओगी ==============

दिनांक 15 जनवरी 2014


मेरे घर के छोटे से लॉन में,
जुटती है जंगली कबूतरों व गोरईया
की मजलिस।
चू -चू गुटरगू की आवाज़ से,
हवा हो उठती तरंगित।

हम प्रतिदिन नियम से,
दाना डालते है
उनके चुगने के लिये।
हम प्रतिदिन क्यारियों में,
बोते है दाने,
उगने के लिये।

जाने क्यों,उन्हें भी चुग जाते है
नादान गोरईया व कबूतर।
क्यारियाँ खाली की खाली
रह जाती है
उजाड़ ऊसर की तरह।

हम जितने भी दाने डालते है,
वह सब चुग जाती है
थोड़ी ही  देर में
हम देखते देखते ही
खो जाते है
उनके फेर में।

काश !हमें भी पछियों की
भाषा आती होती,
हम उन्हें बताते कि कुछ है
उनके खाने के लिये
कुछ बीज है
और फसल
उगाने के लिये।

यदि तुम इन्हें भी चुग जाओगी
तो भविष्य में समय से पहले
बिना चुगे
खुद ही चुक जाओगी। 

बनके ढ़ाल =======

दिनांक 13 जनवरी 2014

है हिन्दु रच्छा दल,
या साम्प्रदायिक ता के दल -दल,
का "कमल "के अगल -बग़ल का,
है वह कोई छद्म दल।

किसी के इक बयान पर,
मचा इतना है वबाल।
क्यों ?किसके लिये कर रहें
है,उठता है सवाल।

तोड़ -फ़ोड़ करके,
बनते हो बड़े सूरमा।
भारतीय संस्कृति,
की गिराते हो गरिमा।

पाक़ व बग्ला देश में नित,
हिन्दू हो रहे बेहाल।
क्यों नही कूच करती,
हिन्दू सेना बनके ढाल। 

Wednesday, January 8, 2014

जिन्दगी का सफ़र --------------- =============================

जीवन संगनी के साथ 38 वर्षो का जिन्दगी का सफ़र,खट्टी -मीठी अनुभूतियों के साथ चल रहा है। कम से कम 50 वी जयंती मनाने की आकांछा है। इन अड़तीस सालों में हम दोनों कई देशाटन,तीर्थाटन,पयर्टन हेतु देश के विभिन्न हिस्सों में विचरण किये। जिनकी मधुरयादों से आज भी मन विभोर हो उठता है। कुछ समय जब तक पुत्र -पुत्रियॉ छोटी थी। सब साथ जाते रहे। धीरे -धीरे बच्चें बड़े होते गये। विवाह आदि हो गये। सबके अपने -अपने नीड़ हो गये। वे अपने में व्यस्त,हम अपने में मस्त। अब हम पति -पत्नी साथ -साथ घूमने लगे।

इधर कुछ दिनों से हम दोनों को जाने क्यों यह लगता है कि साथ में बच्चें रहे तो अधिक आनन्द आयेगा। गत वर्ष हम लोग पुत्र -पुत्रवधू,दोनों लड़कियां व दामाद तथा तीनों नातिनों के साथ मुक्तेश्वर गये थे। वहाँ की रम -डीय,दर्श नींय,पर्वतीय वातावरण में काफ़ी आनन्द आया। मन प्रफुल्लित हो उठा था।

गत माह यूथ होस्टल यसोसियशन ऑफ इंडिया की बेब -साइट खोली तो विभिन्न प्रकार के राष्ट्रीय व प्रन्तीय स्तर के कार्य क्रम थे। हम लोगों ने तमिलनाडु के ऊटी पर्वतीय स्थल पर फ़ैमिली कैम्पिंग का पाँच दिन चार रातों का कार्य क्रम तय किया। इंटरनेट से दिनाँक 17 नवम्बर 2013 से 21 नवम्बर 2013 तक के ग्रुप में स्थान आरछित करा लिया। तद्नुसार रेलवे में आने -जाने का आरछण भी करा लिया।

कार्य क्रम में पति -पत्नी तथा बारह वर्ष तक के दो बच्चें सहित चार लोग जा सकते है। कैम्प में रहने की व्यवस्था है। सुबह की चाय,नास्ता,साधरण स्वास्थ वर्धक शाकाहारी लन्च व डिनर रात में गर्म पेय पदार्थ आदि उपलब्ध कराया जाता है। सम्पूर्ण देश से विभिन्न संस्कृतियो के लोगों का मिलन,साथ रहना,साथ खाना एक अच्छा अनुभव देता है। इस कार्य क्रम में दो दिन ऊटी -दर्शन का भी प्रबन्ध है। इन सब के लिये यूथ -हो

स्टल के सदस्यों के लिये रू ० 6450 व गैर सदस्यों हेतु रू ० 6650 लिया जाता है।

पहले यह कार्य क्रम केवल यूथ हॉस्टल के अवैतनिक कार्य क्रम सचालको,पदाधिकारियो,कैम्प लीडरो,को -
अर्गनाईजर आदि के परिवारों के लिये आयोजित किया जाता था। हम यूथ होस्टल यसोसियशन ऑफ़ इंडिया,
लखनऊ इकाई से वर्ष 1985 में जुड़े थे। हमारा संस्था से परिचय हमारे मित्र तत्कालीन चेयरमैन श्री अनिल कुमार गहोई ने कराया था।

इसके बाद हमने सर्व प्रथम 3 अक्टूबर 1985 को पिण्डारी -ग्लेशियर पदारोहण कार्य क्रम भाग लिया। 25 मई 1986 से 15 जून 1986 तक पिण्डारी ग्ल्येसियर पदारोहण कार्य क्रम में कैम्प लीडर के रूप में अपनी अवैतनिक सेवा प्रदान की थी। वर्ष 1987 -1988 में वेस्टर्न घाट &गोवा हिल्स की पदारोहण कार्य क्रम में कैम्प लीडर रहा था। वर्ष 1990 फरवरी में थार डिजर्ट ऑफ राजस्थान कार्य क्रम में ग्रुप लीडर रहा था। वर्ष 1999 से 2000 तक नेशनल हिमालयन विंटर ट्रैकिंग एक्सपीडिशन -2000 में सह -निदेशक के रूप में अपनी सेवा संस्था को प्रदान कि थी। अतः हमारा चयन होगया। 

Tuesday, January 7, 2014

मेरी ख़ामोशी -------------- ==================

मेरी  ख़ामोशी --------------
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हज़ार  जवाबों से अच्छी है,
मेरी खामोशी।
धीर  गम्भीर लोग,
हर बात पे बोला नही करते।
जिनके घर हो शीशे के,
वे दूसरे के घरों पर
पत्थर फेंका नही करते।
उसकी कमीज़ से,
जयादा सफेद है मेरी कमीज,
समझदार लोग,
दूसरो पर कीचड़,
फेंका नही करते। 

ख़ास बने आम ============

ख़ास   बने   आम
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ख़ास बने आम,जुड़ गये,
आम आदमी पार्टी,"झाड़ू "के साथ।
रुतबा छोड़ा,छोड़ी शान शौक़त,
बनेंगे  गरीबों के नाथ।

अजब हवा बही,
कुम्हलाया"कमल ,झ़ुक गया है "हाथ,
सभ्भल कर चलो "आप"
दुश्मन लगाये बैठा है घात।

रहो होशियार आने वालों से,
कर न दे  कहीं विश्वासघात।  

Monday, January 6, 2014

सावधान !विश्वास खण्डित करते है कुछ लोग -----------------------------------

ट्रिन -ट्रिन डोर बेल दो -तीन बार लगातार बजती जा रही थी। हम कुछ काम में व्यस्त थे। अत: दरवाजा खोलने में कुछ विलम्ब हुआ। दरवाजा खोला तो देखा कि दो महिलाये देहाती वेश -भूषा में है। हमें तो हरियाडवी महिलाये प्रतीत हो रही थी। हमने  पूछा क्या काम है ?उन्होंने हरियाडवी व् राजस्थानी मिश्रित बोली में कहा हमारे यहाँ लड़की की शादी है। हम जमादार है। कुछ आर्थिक मदद हो जाये। उनके हाथो में पाँच सौ के नोट कई नोट थे। मेरी कुछ समझ में नही आ रहा था कि इन्कार करू या कुछ दे दू। हमने अपनी पत्नी से कहा कि जरा तुम देखों क्या करना है। श्रीमती कल्पना जरा दया भाव रखने वाली महिला है। उनका उद्देश्य है कि देने के लिये हाथ खुला रहना चाहिये।

जब उन्होंने पूछा कि क्या बात है। उन महिलाओं ने बताया कि हम मागने वाले नही है। घर में दो -दो लड़कियों की शादी पड़ गयी है। मजबूरी में माँगने निकले है। तब हमारी पत्नी ने एक सौ एक रुपए का शगुन कन्या के नाम पर उन्हें दे  दिया। इस पर वे इसरार करने लगी कि और पैसा चाहिये। कम से कम बीस किलो आटा तो आ जाये। बाज़ार दर 40 रूपये प्रति किलो है। इस हिसाब से वह आठ सौ रूपये की माँग कर रही थी। हमारी पत्नी ने कहा कि जब तुम पूरी कॉलोनी में पैसा उगाह रही हो तो काम भर का हो जायेगा। बूद -बूद कर सागर भरता है। पर वे बराबर अपनी बात कहती रही। बाध्य हो कर दरवाजा बन्द करना पड़ा। फिर भी देर तक डोर -बेल बजती रही।

दूसरे दिन हम बाजार से कुछ सामान लाने जा रहें थे। समय दोपहर का ही था। देखा कि वही दो महिलाये,लोगो से पैसा माँग रही है। कन्या के विवाह के नाम से लोगो की भावनाओं से खेलने का धंधा चल रहा था। उन्हें तो याद नही था कि वह मेरे घर आ चुकी थी। अतः उन्होंने फिर मुझसे अपनी बीस किलो आटा की मांग रखी। अब मुझे कुछ दाल में काला नजर आने लगा। शक तो मुझे  कल ही हो गया था कि हो न हो यह नया व्यापार हो।

हमने कहा कि तुम कहाँ रहती हो.?उन्होंने बताया कि  पास ही हमारा गाँव है। हमने कहा कि हम तुम्हरा एक फ़ोटो खीचेंगे व पता दे दो। समाचार -पत्र में छपेगा तो दयावान लोग आर्थिक मदद करने आगे आयगे। तुम्हें घर -घर नही जाना पड़ेगा। वह कुछ सकपका कर बोली अरे यह सब करने की क्या जरूरत है। इसपर मैने कहा तुम हमें अपने घर ले चलो। विवाह वाले दिन का व बारात के खाने का पूरा प्रबन्ध हम कर देंगे। इस पर भी उनकी सहमति नही थी। बस वही राग बीस किलो आटा के पैसे दे दो। फिर दूसरी ने उसे से कुछ कहा और वे दोनों तेज़ी से एक ऒर भाग ली।

अब बात बिलकुल आइने की तरह साफ थी कि तथा कथित कन्या की शादी की बात गलत थी। उन्होंने लोगो का विश्वास खण्डित किया था। ऐसे लोगो से सावधान रहने की आवश्यकता है। ताकि झूठे -मक्कार लोगो को बढ़ावा न मिले। 

"आप के शासन में -------------------

दिनांक 5 जनवरी 2014

"आप के शासन में
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"आप के शासन में आते ही,
हो उठी बेचैन  नौकरशाही।
"आप "के लोग है खरे -खरे,
अब न चलेगी चम्मचेबाजी।

पुराने -पुराने घपलों,
व करे -धरे की होगी जाँच।
 घाघ.,खुराटबदमाशो की
ऊपर -नीचे होगी श्वास।

मिलेगी सजा अपने किये कर्मो की
 चाहे हो आम या हो कोई खास।
ठीक से चलाएगे सुशासन
"आप"के लोग
अभी जनता का है विश्वास।