Monday, January 6, 2014

सावधान !विश्वास खण्डित करते है कुछ लोग -----------------------------------

ट्रिन -ट्रिन डोर बेल दो -तीन बार लगातार बजती जा रही थी। हम कुछ काम में व्यस्त थे। अत: दरवाजा खोलने में कुछ विलम्ब हुआ। दरवाजा खोला तो देखा कि दो महिलाये देहाती वेश -भूषा में है। हमें तो हरियाडवी महिलाये प्रतीत हो रही थी। हमने  पूछा क्या काम है ?उन्होंने हरियाडवी व् राजस्थानी मिश्रित बोली में कहा हमारे यहाँ लड़की की शादी है। हम जमादार है। कुछ आर्थिक मदद हो जाये। उनके हाथो में पाँच सौ के नोट कई नोट थे। मेरी कुछ समझ में नही आ रहा था कि इन्कार करू या कुछ दे दू। हमने अपनी पत्नी से कहा कि जरा तुम देखों क्या करना है। श्रीमती कल्पना जरा दया भाव रखने वाली महिला है। उनका उद्देश्य है कि देने के लिये हाथ खुला रहना चाहिये।

जब उन्होंने पूछा कि क्या बात है। उन महिलाओं ने बताया कि हम मागने वाले नही है। घर में दो -दो लड़कियों की शादी पड़ गयी है। मजबूरी में माँगने निकले है। तब हमारी पत्नी ने एक सौ एक रुपए का शगुन कन्या के नाम पर उन्हें दे  दिया। इस पर वे इसरार करने लगी कि और पैसा चाहिये। कम से कम बीस किलो आटा तो आ जाये। बाज़ार दर 40 रूपये प्रति किलो है। इस हिसाब से वह आठ सौ रूपये की माँग कर रही थी। हमारी पत्नी ने कहा कि जब तुम पूरी कॉलोनी में पैसा उगाह रही हो तो काम भर का हो जायेगा। बूद -बूद कर सागर भरता है। पर वे बराबर अपनी बात कहती रही। बाध्य हो कर दरवाजा बन्द करना पड़ा। फिर भी देर तक डोर -बेल बजती रही।

दूसरे दिन हम बाजार से कुछ सामान लाने जा रहें थे। समय दोपहर का ही था। देखा कि वही दो महिलाये,लोगो से पैसा माँग रही है। कन्या के विवाह के नाम से लोगो की भावनाओं से खेलने का धंधा चल रहा था। उन्हें तो याद नही था कि वह मेरे घर आ चुकी थी। अतः उन्होंने फिर मुझसे अपनी बीस किलो आटा की मांग रखी। अब मुझे कुछ दाल में काला नजर आने लगा। शक तो मुझे  कल ही हो गया था कि हो न हो यह नया व्यापार हो।

हमने कहा कि तुम कहाँ रहती हो.?उन्होंने बताया कि  पास ही हमारा गाँव है। हमने कहा कि हम तुम्हरा एक फ़ोटो खीचेंगे व पता दे दो। समाचार -पत्र में छपेगा तो दयावान लोग आर्थिक मदद करने आगे आयगे। तुम्हें घर -घर नही जाना पड़ेगा। वह कुछ सकपका कर बोली अरे यह सब करने की क्या जरूरत है। इसपर मैने कहा तुम हमें अपने घर ले चलो। विवाह वाले दिन का व बारात के खाने का पूरा प्रबन्ध हम कर देंगे। इस पर भी उनकी सहमति नही थी। बस वही राग बीस किलो आटा के पैसे दे दो। फिर दूसरी ने उसे से कुछ कहा और वे दोनों तेज़ी से एक ऒर भाग ली।

अब बात बिलकुल आइने की तरह साफ थी कि तथा कथित कन्या की शादी की बात गलत थी। उन्होंने लोगो का विश्वास खण्डित किया था। ऐसे लोगो से सावधान रहने की आवश्यकता है। ताकि झूठे -मक्कार लोगो को बढ़ावा न मिले। 

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