अब तो जागो जन -सेवको
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दिल्ली के निर्भया काण्ड के फैसले की स्याही अभी सूख भी नही पायी थी। दिनांक १७ जुलाई २०१४ को-लखनऊ के मोहनलालगंज तहसील के बलसिंघ खेड़ा गाँव में प्राइमरी स्कूल के प्रांगण एक नव -युवती के साथ हैवानियत का नंगा - नाच कुछ नर -पिचाशो दवरा किया गया। अस्मात तो लूटी ही लूटी ,बेदर्दी से उसका क़त्ल कर दिया गया। यह अपराधियों की बढ़ी हिम्मत की पराकाष्टा है।
हमारे कुछ माँननीय मंत्री यह कहते है कि हर लड़की पर चौबीस घण्टे पुलिसः नही लगायी जा सकती है। यह बात ठीक है हर नागरिक को हर समय पुलिसः सुरछा नही उपलब्ध करायी जा सकती है। तथा -कथित जन -सेवकों को जेड श्रेडी की सुरछा उपलब्ध रहती है क्यों ? यदि यह भी मान लिया जाये तो क्या प्रशासन की इतनी हनक नही पैदा की जा सकती है कि अपराधी अपराध करने के पहले सौ -बार सोचें।
मानव -अधिकार की बात करने वालो से हम यह जानना चाहते है कि पीड़ित युवती या पीड़ित जन आदि के कोई मानव -अधिकार होते है या नही। भारतीय सविंधान में व्यवस्था है कि "चाहे सौ दोषी छूट जाये परन्तु एक भी निर्दोष को सज़ा नही होनी चाहिये। मेरे विचार से अब इसे बदलने का समय आ गया है। प्रशासन का रुतबा व डर पैदा करने के लिये अपराधी को सरे -आम सज़ा अविलम्ब दिये जाने की व्यवस्था होनी चाहिए। इस तरह की हैवानियत करने वाले को खुले -आम प्रचार कर गोली मार देनी चाहिए तभी इन्सानियत को शर्म -सार करने वालो को सबक मिले गा।
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दिल्ली के निर्भया काण्ड के फैसले की स्याही अभी सूख भी नही पायी थी। दिनांक १७ जुलाई २०१४ को-लखनऊ के मोहनलालगंज तहसील के बलसिंघ खेड़ा गाँव में प्राइमरी स्कूल के प्रांगण एक नव -युवती के साथ हैवानियत का नंगा - नाच कुछ नर -पिचाशो दवरा किया गया। अस्मात तो लूटी ही लूटी ,बेदर्दी से उसका क़त्ल कर दिया गया। यह अपराधियों की बढ़ी हिम्मत की पराकाष्टा है।
हमारे कुछ माँननीय मंत्री यह कहते है कि हर लड़की पर चौबीस घण्टे पुलिसः नही लगायी जा सकती है। यह बात ठीक है हर नागरिक को हर समय पुलिसः सुरछा नही उपलब्ध करायी जा सकती है। तथा -कथित जन -सेवकों को जेड श्रेडी की सुरछा उपलब्ध रहती है क्यों ? यदि यह भी मान लिया जाये तो क्या प्रशासन की इतनी हनक नही पैदा की जा सकती है कि अपराधी अपराध करने के पहले सौ -बार सोचें।
मानव -अधिकार की बात करने वालो से हम यह जानना चाहते है कि पीड़ित युवती या पीड़ित जन आदि के कोई मानव -अधिकार होते है या नही। भारतीय सविंधान में व्यवस्था है कि "चाहे सौ दोषी छूट जाये परन्तु एक भी निर्दोष को सज़ा नही होनी चाहिये। मेरे विचार से अब इसे बदलने का समय आ गया है। प्रशासन का रुतबा व डर पैदा करने के लिये अपराधी को सरे -आम सज़ा अविलम्ब दिये जाने की व्यवस्था होनी चाहिए। इस तरह की हैवानियत करने वाले को खुले -आम प्रचार कर गोली मार देनी चाहिए तभी इन्सानियत को शर्म -सार करने वालो को सबक मिले गा।
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