Monday, July 28, 2014

आहत हुआ है गंगा का उद्गम

                                     आहत  हुआ है गंगा  का उद्गम
                                    ==========================



स्वामी  रामदेव ने  अपनी  गोमुख यात्रा  के पश्चात गंगोत्री  व गोमुख  की दशा  का  जो वर्ण न  किया  है  वह निश्च्य  ही चिन्ता  का विषय है। हमने भी गत  पैंतीस  वर्षो में गंगोत्री व गोमुख की  पांच  बार  यात्रा  की  है।
जब से  गंगोत्री  तक सीधी सड़क  का  निर्माण किया गया है  तब  से यात्रियों  की संख्या  में  काफी बढ़ोतरी हुई। नव धन कुबेरों की सुख -सुविधा के लिए उच्च स्तर के  होटलों  आदि की सुविधा उपलब्ध  करने के लिए
पर्यावरण की कीमत पर कार्य  किये  गए। वनों  को  तो उजड़ा ही गया  मार्ग निर्माण में  पर्वतो  को विस्फोटकों  से तोडा  गया। उनका हृदय  दरक  गया। बढ़ते  जन कुल से उत्तपन्न  गंदगी  ने गंगोत्री से  ही  माँ  गंगा  का आँचल  मैला  करना  प्रारम्भ  कर दिया। लोग पिकनिक के मूड में यात्रा करने लगे।

कभी भोजवासा में भोज के पेड़  बहुतायत  में हुआ  करते थे। अब  उनके दर्शन  कठिन है। एक उजाड़  सा माहौल दिखाई  देता है। ग्लोबल  वार्मिग  के चलते  गोमुख ग्लेशियर  तेजी  से प्रति वर्ष  पीछे हट  रहा है।
यह सत्य  है  इस पर गंभ्भीरता  से विचार किया जाना चाहिये।

स्वामी रामदेव  ने लिखा  है कि "मेरी गोमुख की आध्यात्मिक  यात्रा  पर आपत्तिः  की गई। वास्तव में आपत्तिः यह थी कि इस वर्षाकाल के समय  जब  प्राय:मार्ग  अवरुद्ध हो जाते है,बच्चो ,महिलाओ  आदि लोगो एक  बड़ा  दल  ले जाने के लिये समय अनकूल  नही था। दल कई  स्थलों  पर रुकावटों  से दो -चार  हुआ। वैसे यह सत्य है कि चिन्तन -मनन ,तप साधना और आध्यात्मिक  यात्रा किसी की  मोहताज नही है। पर्यावरण ,हिमालय एंव नदियों को  बचाने के लिए आध्यात्मिक जगत व जन सामान्य  का सहयोग लिया जाना चाहिए। 

No comments:

Post a Comment