भीगते हुये यौवन को **********
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भीगते हुये यौवन को,सावन की घटा भायी।
चहुँ ओर है रिम -झिम,बरखा की अदा आयी।
वस्त्र बदन से चिपके,देता बदन यूही दिखायी।
नजरे उनकी झुकी -झुकी है शर्मीली यूही सरमाई।
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भीगते हुये यौवन को,सावन की घटा भायी।
चहुँ ओर है रिम -झिम,बरखा की अदा आयी।
वस्त्र बदन से चिपके,देता बदन यूही दिखायी।
नजरे उनकी झुकी -झुकी है शर्मीली यूही सरमाई।
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