शिक्षक है ?या है हैवान ?***********
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हमारे देश की प्राचीन सभ्यता में गुरु का स्थान ईश्वर के ऊपर माना गया है। शिक्षा का दान,महा दान माना गया है। "गुरु गोविन्द दोऊ खड़े,काके लागू पाय। बलिहारी गुरु आपने जिन गोविन्द दियो बतायें ".
वैसे आधुनिक उपभोक्तावादी संस्कृति में स्थितियों में बहुत बदलाव आया है। शिक्षा के मन्दिर आज अर्थ उत्पादन के केन्द्र बनते जा रहे है फिर भी शिक्षकों का सम्मान इतना नही गिरा है। हम शिक्षक -दिवस मनाते है। गुरु पूर्णिमा के दिन हम उन्हें पूजते है।
दिनांक 14 अगस्त 2014 को हिन्दुस्तान समाचर पत्र में प्रकाशित ख़बर के अनुसार राजकीय इण्टर कालेज़ निशातगंज लखनऊ में हुई घटना शर्मनाक है। 10 वी कक्षा का छात्र सन्तोष शर्मा को इतनी बेहरमी से पीटा गया कि उसे अस्पताल ले जाना पड़ा। पीटने के पश्चात जब छात्र ने अपने घर मोबाईल से सूचना देनी चाही तो फोन छीन लिया गया। इस प्रकरण में के ० पी ० सर नामक शिक्षक ने लात घुसो व डण्डे से बुरी तरह दण्डित किया। यह कार्य निश्चय निन्दनीय है। वे शिक्षक के नाम पर काला धब्बा है। इस तरह के बर्बरता पूर्ण किस्से अक्सर पढ़ने में आते है। किसी छात्र के ग़लती करने पर उसे सुधार के लिये दण्डित किया जाना तो गुरु का अधिकार है पर इस तरह का प्रकरण यह दर्शाता है की वह व्यक्ति मानसिक रोगी है। उसका स्थान विदयालय में नही कहीं और है।
इस प्रकरण कीजांच होनी चाहिये। दोषी को दण्डित किया जाना चाहिये ताकि अन्य लोगो के लिये सबक हो।
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हमारे देश की प्राचीन सभ्यता में गुरु का स्थान ईश्वर के ऊपर माना गया है। शिक्षा का दान,महा दान माना गया है। "गुरु गोविन्द दोऊ खड़े,काके लागू पाय। बलिहारी गुरु आपने जिन गोविन्द दियो बतायें ".
वैसे आधुनिक उपभोक्तावादी संस्कृति में स्थितियों में बहुत बदलाव आया है। शिक्षा के मन्दिर आज अर्थ उत्पादन के केन्द्र बनते जा रहे है फिर भी शिक्षकों का सम्मान इतना नही गिरा है। हम शिक्षक -दिवस मनाते है। गुरु पूर्णिमा के दिन हम उन्हें पूजते है।
दिनांक 14 अगस्त 2014 को हिन्दुस्तान समाचर पत्र में प्रकाशित ख़बर के अनुसार राजकीय इण्टर कालेज़ निशातगंज लखनऊ में हुई घटना शर्मनाक है। 10 वी कक्षा का छात्र सन्तोष शर्मा को इतनी बेहरमी से पीटा गया कि उसे अस्पताल ले जाना पड़ा। पीटने के पश्चात जब छात्र ने अपने घर मोबाईल से सूचना देनी चाही तो फोन छीन लिया गया। इस प्रकरण में के ० पी ० सर नामक शिक्षक ने लात घुसो व डण्डे से बुरी तरह दण्डित किया। यह कार्य निश्चय निन्दनीय है। वे शिक्षक के नाम पर काला धब्बा है। इस तरह के बर्बरता पूर्ण किस्से अक्सर पढ़ने में आते है। किसी छात्र के ग़लती करने पर उसे सुधार के लिये दण्डित किया जाना तो गुरु का अधिकार है पर इस तरह का प्रकरण यह दर्शाता है की वह व्यक्ति मानसिक रोगी है। उसका स्थान विदयालय में नही कहीं और है।
इस प्रकरण कीजांच होनी चाहिये। दोषी को दण्डित किया जाना चाहिये ताकि अन्य लोगो के लिये सबक हो।
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