Monday, September 22, 2014

स्व ० चौधरी चरण सिंह का स्मारक **********

                    *****                  स्व ० चौधरी चरण सिंह  का स्मारक **********
                                               =====================================


               गत कुछ  दिनों से स्व ० चौधरी चरण सिंह का स्मारक बनाये   जाने की माँग  काफी  जोर -शोर से उठायी  जा रही है। इसके लिए धरना -प्रदर्शन  रैली आदि आयोजित किये  जा रहे है। अभी कुछ दिन पहले पूर्व
केंद्रीय मंत्री व राष्र्टीय लोक -दल के अध्यझ चौधरी अजित सिंह के समथर्कों का मुराद नगर में गंग नहर पर किया गया प्रदर्शन तथा दिल्ली के निवासियों को प्यासा रखने का असफल प्रयास किसी भी माने में शोभनीय
नही कहा जा सकता है।

                12 तुगलक रोड का बग़ला वर्ष 1978 में पूर्व प्रधानमंत्री स्व ० चौधरी चरण सिंह को आंवटित किया गया था। उनकी मौत के बाद उनकी पत्नी श्रीमती गायत्री देवी व अजित सिंह के नाम आंवटित होता रहा है।
अब जबकि वह 2014 का लोक -सभा का चुनाव हार गये तो केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने कोठी ख़ाली करने का नोटिस जारी कर दिया।  काफी समय बीतने पर जब कोई सुनवाई नही हुई तो पिछले हफ्ते यन ० डी ० एम० सी ०  ने बिजली -पानी  के कनेक्शन  काट दिए। मजबूरन कोठी ख़ाली करनी पड रही है। ऐसे ही अन्य गण -मान्य लोगोँ की भी कोठी ख़ाली करनी चाहिए जो लोग अभी भी नियम विरुद्ध बगंलों पर क़ाबिज़ है। इसके विषय में त्वरित कार्यवाही मंत्रालय को करनी चाहिये।

                उल्लेखनीय है कि इतने वर्षो तक "चौधरी चरण सिंह "की याद में स्मारक बनाने का विचार नही आया। जब कार्यवाही हुयी तो यह माँग उठा दी गयी। चौधरी चरण सिंह का असली स्मारक तभी निर्मित होगा जब देश का किसान ख़ुशहाल होगा। वह आर्थिक तंगी के चलते आत्म -हत्या  कर रहा है। जब तक उसको अपनी उपज न्योचित मूल्य नही प्राप्त होता तब -तक किसान नेता चौधरी चरण सिंह के स्मारक का कोई औचित्य नही है



         

Sunday, September 21, 2014

कैलाश -मानसरोवर का नया मार्ग **********

               *****                                   कैलाश -मानसरोवर का नया मार्ग **********
                                                            ===============================


          चीनी राष्ट्र पति  के भारत आगमन पर हमारे प्रधान सेवक श्री मोदी जी की वार्ता  के फलस्वरुप  चीन ने

कैलाश -मानसरोवर यात्रा का दूसरा वैकल्पिक मार्ग सिकिक्म के नाथुला दर्रे से खोलने की सहमति प्रदान की है।

यह रास्ता काफी सुगम है परन्तु थोड़ा लम्बा जरूर है। नाथुला के बाद तिब्बत के दूसरे बड़े  शहर  जियागजी से

होते हुए बेहतरीन राज मार्ग है। तीर्थ यात्री  बसो व जीपों की सहायता से सुगमता पूर्वक मानसरोवर तक पहुँच

सकते है। बूढ़े तीर्थ यात्रीयो  के लिए यह मार्ग ही ठीक है। यह कम दुर्गम है जबकि वर्तमान मार्ग जो धारचुला

होते हुए जाता है काफी कठिन है तथा प्रतिवर्ष लगभग 1000 तीर्थ यात्री ही इसका लाभ उठा पाते है।

          उत्तराखंड के लोगो दवरा इस नए मार्ग का विरोध किया जा रहा है। विरोध -प्रदर्शन किये जा रहे है। इस

विरोध के पीछे यह कारण है कि यात्रा -काल में मार्ग में पड़ने वाले पड़ाव पर लोगो को रोजगार  उपलब्ध होता है।
यदि यह मार्ग बन्द होता है तो हजारो लोगो की रोजी रोटी पर असर पड़ेगा। प्रदेश के मुख्य मंत्री हरीश रावत ने

आपत्ती दर्ज करते हुए इसे देश की जनता की धार्मिक भावनाओ के विपरीत बताया। इसके विपरीत हरिद्वार के

साधु संतो ने नए मार्ग का स्वागत किया। गंगा सभा के   प्रमुख अशोक त्रिपाठी ने भी नए मार्ग का समर्थन

किया।    जूना अखाड़े के राष्ट्रीय उप -प्रधान प्रेम गिरी ने कहा कि नए मार्ग   तो खुलते रहते है  इसमें धर्म -

विरुद्ध क्या है। नए मार्ग से लाखो श्रद्धालु  इसका लाभ  उठा पायेगे। नए मार्ग के खुलने से मार्ग में पड़ने वाले

गाँव -कस्बो के निवासियों को रोजगार -व्यसाय  मिलेगा वह भी तो भारतवर्ष का ही हिस्सा है। यह कहना की

उत्तराखण्ड के पयर्टन व्यवसाय को समाप्त करने की साजिश हे उचित नहीं लगता। उत्तराखण्ड में बहुत से

स्थल हे जिन्हे विकसित कर पयर्टन उद्योग को बढ़ाया जा सकता है। अत; यह विरोध भी मात्र विरोध करने के

लिए विरोध  करने की  श्रेढ़ी में आता है। मानसरोवर के लिए अन्य मार्ग  खोले जाने की मांग पहले भी उठायी

जाती रही है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान मार्ग भी श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी के प्रधान मंत्री  कल में  ही

आरम्भ हुआ।

Saturday, September 20, 2014

*** चीन की सधी हुई चाल *****

                                         *
*********          चीन की  सधी  हुई  चाल *****



आज दिनांक 20 सितमबर 2014  चीनी सेना के 35 जवान लद्दाख के चुमुर की एक पहाडी की चोटी पर 

फिर से जमा  हो गये है। चीनी चरवाहो  ने दम चोक में काबिज अपने टैन्ट  नहीं  हटाये है। चीन के राष्ट्र पति

चिन -फिंग  के आगमन पर तय रणनीति के त हत 300 चीनी सैनिको  ने घुस पैट कर भारतीय सीमा में हो रहें

कार्य  को रोकने का प्रयास किया। कुछ दिन पूर्व चीनी प्रधान मंत्री ली कहू यांग के आगमन के समय भी चीनी

सैनिकों ने घुस पैठ की थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2007 तक 1500 बार,सन 2013 से गत तीन वर्षो मे
600 बार वर्ष 2014 में अब तक 335 बार चीनी सैनिकों ने घुस पैठ की है। वर्ष 1914 में मैकमोहन रेखा तय की

गयी थी। उसका उल्ल्घन बराबर किया जा रहा है।

लेह से 300 कि० मी ० उत्तर पूर्व हिमांचल की सीमा से लगतें  चुमार अक्साई चीन को भारत लद्दाख का हिस्सा

मानता है जबकि चीन इसे चनिझिज यांग प्रान्त का हिस्सा बताता है। वर्ष 2006 से चीन पूरे अरुणांचल व

सिकिक्म के कुछ हिस्से पर भी अपना अधिकार बताता है। वर्ष 1962 के युद्ध में चीन ने 3200 वर्ग कि o मी 0

जमीन पर अधिकार  जमा  लिया जिसकी अब कोई चर्चा नहीं  कर ता है। गुलाम कश्मीर का कुछ हिस्सा  पाक

दवरा चीन  को प्रदान किया गया जहाँ चीन समरिक  तैयारिया करता आ रहाहै। भारत और चीन के मध्य साढ़े -

चार हज़ार किमी की सीमा अनिर्णित है।  जिसे वास्तविक नियन्त्रण  रेखा कहा जाता है। वर्ष 2003 से 17 बार

वार्ता हो चुकी है प र  नतीजा शून्य है। अब आगे और कितनी वार्ताएँ होगी पता नहीं  है।

चीनी राष्ट्र पति के आगमन के पूर्व 100 अरब डॉलर के निवेश का हल्ला था जबकि 5 वर्षो में 20 अरब डॉलर के

समझौते हुये है। भारत विश्व में एक बडा बाज़ार है। कुछ सालो से हम देखते है कि चीनी उत्पादों से भारत के

बाज़ार भरे पड़े है। घरेलू उद्धोग धन्धे उसके सामने नत मस्तक है। चीन का जोर आर्थिक रिश्तों पर है पर वह

अपनी विस्तारवादी नीतियों को छोड़ना नहीं चाहता है। चीन के राष्ट्र पति का यह कथन की सीमा निर्धारण न

होने के कारण अनजाने में चीनी सैनिक सीमापार आ जाते है।  हमारे सैनिक क्यों नहीं चीनी झेत्र में भूल से चले

जाते है।

लोक़सभा चुनाव के समय हमारे प्रधान सेवक जी ने बाहे चढ़ाते हुए चीन व् पाकको  तीखी चेतावनी दी थी कि

हमारी और कोई भी आँख उठा कर देखने की हिम्मत नहीं कर सकता। पद पर आते ही कुछ मुलायम हो गए।

वैसे पूर्व विदेश सचिव शशांक का विश्वास है कि भविष्य में दोनों देश सीमा -विवाद का हल करने के लिए

गम्भीरता से कदम बढ़ाएंगे। हमे सकारात्मक सोच के साथ सावधानी पूर्वक चौक्कना होकर आगे बढ़ना होगा।

वर्तमान वैश्विक परिस्थितयो के अनरूप भारत व चीन को एक दूसरे की सख्त जरूरत हे।


Friday, September 19, 2014

* व्यन्दावन में विधवाओ का प्रवास * =================================

                                   *   व्यन्दावन  में   विधवाओ  का प्रवास *
                               =================================


मथुरा की सांसद श्रीमती हेमा मालनी  के बयान को  गलत ढ़ग से परिभाषित किया जा रहा है। भारतीय पुरातन
संस्कृति की यह एक विषम  कुरीति है कि विधवाओं का सुबह दर्शन शुभ नहीं माना जातारहा है। शुभ -काम में भी उनकी उपस्थित कुछ स्थलों पर  अच्छी।नही  मानी जाती है। विधवाओं की यह नियत तय की जाती है कि  वह शेष -जीवन केवल भक्ति -भजन  पूजा -पाट  में ही गुजार दे। पहरावे में भी सादगी,भोजन भी निर्मिष रुखा -सूखा।  न कोई आकांछा  जन्म ले। उमंग से रहित शोकाकुल  भाव,शेष जीवन कस्ट मय तरीके से  गुजारना है।

यह भी माना गया है कि पूर्व जन्म के  कर्मो के कारण इन्हे इस जन्म में विधवापन का श्राप मिला है। इसी धारणा के फलस्वरूप देश के विभिन्न प्रान्तों, विशेष कर बंगाल की विधवाओ को उनके परिवार के लोग प्राया मथुरा -व्यन्दावनमें निसहाय छोड़ जाते है। जो यहाँ मन्दिरो  में भजन -कीर्तन की मजदूरी करती है। जिसके लिए उन्हें अन्न प्रदान किया जाता है यदाकदा नौजवान विधवाओ का हर तरीके से शोषण भी होता चलता है।

उनकी संख्या प्रतिवर्ष बढ़ती जाती है ऐसे  में  अवव्यस्था भी होती  है। हमें यह प्रयास करना चाहिए कि यह कुप्रथा रोकी जाये। विधवाओ के पारिवारिक जन उन्हें सम्मान सहित घरों में आस्रय दे।

कांग्रेस विधान -मण्डल दल के नेता प्रदीप माथुर ने केवल विरोध करने के लिए विरोध करते हुए कहा कि मथुरा की सांसद के बयान से धार्मिक भावनाओ  को चोट पहुचती है। यह कैसा धर्म है घर की माँ -बहिनो को असहाय
मथुरा या किसी धार्मिक नगरी में छोड़ दिया जाये और उसके हिस्से की धन -सम्पत्ति को हड़प लिया जाये। वह शापित नारी  भीख मांग  कर जिन्दगी  बसर करे और शोषण का शिकार बने। उन्हें समाज में समुचित सम्मान
व् पारिवारिक सुरझा मिलनी चाहिये। हम सबको इस तरह की कुरीतियों का जम कर विरोध करना चाहिए  नारी को  उचित स्थान मिलना चाहिये। 

Wednesday, September 17, 2014

ई ० वी ० एम० मशीनों से आयी आवाज ************

                            ई ० वी ० एम० मशीनों से आयी  आवाज ************
                         -----------------------------------------------------------------

          इ ० वी ० एम ० मशीनों  से आयी  आवज़,
                                                    हमे नफ़रत  नहीं  विकास  चाहिये।
           हमें "लव -जिहाद " से मतलब   नहीं ,
                                                      हमे  आपस  में प्यार   चाहिये।
            मन्दिरो में लाऊड -स्पीकर  नहीं,
                                                       दिल मिले ऐसी आवाज चाहिये।
            मन्दिर -मसजिद में मत उलझाव हमे,
                                                        दो रोटी   का सकून   चाहिये।
            रहेगी सुरझित हमरी माँ बहिने,
                                                         इस बात का  इतिमिनानं चाहिये।
            सर छिपा  सके  मुसीबत में हमे
                                                          हो चाहे छप्पर का मकान चाहिये।    





     



देश की जनता ने ***************

                                  देश की जनता  ने ***************
                                   ===========================          



देश की जनता ने भा ० जा ० पा  ० को,
                                                          दिया  सकेँत  साफ -साफ।
गर सरकार  ने की वादा -खिलाफी
                                                     तो  न  करगे  माफ़ -वाफ।
सौ     दिनों में पर कोई करिश्मा ,
                                                      न  कर सके  हो   तुम।
सूद  सहित लौटने  को क हा  था।
                                                 मूल   भी न   पा  सके है  हम।        

महगाई भरस्टाचार   गरीबी
                                             कुछ भी   नही   हुई  है   कम।
आपस में लड़ाने का भी प्रयास
                                                 कुछ  नही  किया  है  कम।
तुम्हारे वादों  पर समर्थन दिया
                                                 है   छप्पर  फ़ाड़।
अब भी नही  सुधरे  तो
                                          वापस लेंगे   हण्टर   मार्।

     

Tuesday, September 16, 2014

अच्छे दिन -अच्छी बात ***************

                                 अच्छे  दिन -अच्छी  बात ***************
                               ===============================            



             अच्छे दिन -अच्छी  बातें अच्छे  परिणाम।
                                                  यू ० पी ० की जनता  को सपा ० का शत -शत  प्रणाम।
              दिया  महत्व  तुम्हारे विकास को जनता  ने ,
                                                   कहीं अखिलेश करने न लगना तुम विश्राम।
                अब तुम्हे सत्ता की दादागिरी को रोकना होगा
                                                     छुट भईये कही  न  करदे तुम्हे बदनाम।    
                 कड़े प्रशासन से कर दो अपराधियों की नीद  हराम
                                                      प्रदेश के और  विकास में लगने न  पाये विराम।



(यू ० पी ० के उप -चुनाव में सपा की जीत पर )

Tuesday, September 9, 2014

राजनीति में हमेशा दो और दो चार नही होते ****************

                                           राजनीति  में हमेशा दो और दो चार नही होते ****************
                                         ================================================

               
                              राजनीति में हमेशा दो और दो चार  नही होते। कल तक जो थी बात  गलत अवसर बदलने पर वही बात सही हो जाया करती है। बिहार में  लालू यादव  व् नीतेश में थे छत्तीस का  आँकड़ा  आज तिरेसठ  में  बदल गया है। ममता दीदी ने वाम पन्थी यो को सत्ता से बेदखल किया आज एका की गुहार लगा रही है। उत्तर -प्रदेश में भी सपा ने मायावती का राजपाट हस्तगत कर लिया। अब बिहार की तरह सपा  बसपा का गठबंधन  की आवाज़ उठती जान पड़ती है।

                                जिन नीतियों का भा  जा  पा हमेशा से विरोध करती आयी है। उन्ही कार्यक्रमों व नीतियों को नई चमक -दमक के साथ लागू करने में कांग्रेस के कान काट  रही है। जिन कार्यक्रमों को कांग्रेस अपने शासन काल में लाना  चाहती थी। आज उन्ही का विरोध कर रही है अज़ब घाल -मेल है। लोक -सभा के चुनाव के पूर्व दिल्ली  राज्य के चुनाव सम्पन्न हुये। भा  जा  पा  सबसे बड़े दल के रूप में विजयी हुई। उस समय सरकार बनाने से इस लिए मना कर दिया की उसे स्पष्ट बहुमत नही है। जोड़ -तोड़ की सरकार नही बनायेगे। छै माह के गवर्नर शासन के पश्चात जबकि उसके तीन विधायक सासंद  बन गए यानिकी सख्या  घट गयी। अबकौन  सी  तरकीब से कौन से हिसाब से सरकार बनाना न्याय सगंत हो गया।

                                   यदि आप प्रदेश को  चुनावी  खर्चे  से बचाना  चाहते  है तो  क्यों  नही ऐसी व्यवस्था  लाते है   कि उप -चुनाव  की भी आवश्य्कता समाप्त हो जाये। पिछले  चुनाव में  जो रनर यानिकि दूसरे स्थान पर रहे है  उन्हें प्रथम स्थान वाले किसी कारण से ख़ाली करते है  तो दूसरे स्थान पाने वाले को अवसर प्रदान करना चाहिये। वैसे भी भा  जा  पा  को  चुनाव में जाना चाहिये। डर किस बात का मोदी जी तो अब विश्व   के नेता हो रहे है। ---------जय हिन्द            .      

क्यों नही होती कोई ऐसी व्यवस्था *********

                                         क्यों  नही होती कोई  ऐसी  व्यवस्था *********
                                          =================================


एक सत्तर-साल की बूढ़ी महिला जिसकी जर्जर  थी काया,
चार पहियों के ठेले को चढ़ाई पर ठेलते हुई,
हाफती हुई जिन्दगी के ढाल पर चली जा रही लुढकते हुई।
इस उम्र में भी उसे करनी पड़ती है अथक मेहनत दो जून की रोटी के लिए।
मकई के बाले भुनती है। पखें से कोयलो को दह काती  है।
मकई के बालो से निकले सफेद कत्थई  रेशे उसके सिर के केशों से मेल खाते  है।
कोयलों की राख  उसके चेहरे पर फैल  जाती है।

क्यों नही होती कोई ऐसी व्यवस्था ताकि जीवन के सन्धया -काल में जी सके कोई आराम से।
सामाजिक - सुरझा के नाम पर है बहुत सी योजनाये।
क्या उनका लाभ सही लोगो तक पहुँच पायेगा।
यह विचारणीय  ज्वलन्त प्रश्न सुलग रहा है  हर एक के मन में। -------------------------------

Saturday, September 6, 2014

सितम्बर माह का पहला सप्ताह ************

                                              सितम्बर  माह का पहला सप्ताह ************
                                            =================================
       

               सितम्बर माह का पहला सप्ताह,
                                                              खत्म हुआ  लम्बा  इन्तजार।
                सूर्य का हठ था,हार नही डटा रहूँगा,
                                                               बदलो ने भी की  खूब बौछार।
                  खिली -खिली मनचली धूप भी थी,
                                                                लेकिन मेघो ने भी नही मानी हार।
                 झूम कर बरस रही थी बरखा,
                                                         खेतों में मनाने लगे  लोग त्यौहार।
                 कही -कही भीषण सूखा रहा कायम,
                                                             कही  होती रही  ज़ोरदार बरसात।
                 बादलों ने भी सूर्य से की लुका -छुपी,
                                                                   वह खेल -खेल में करते मनुहार।         

गौमुख से गंगासागर ***************

                                                  गौमुख से गंगासागर ***************
                                                ============================


                         माँ गंगा की सफ़ाई पर सर्वोच्य -न्यायालय ने,
                                                                                         उठाये कुछ  सवाल।
                          मौजूदा तौर तरीकों से तो गंगा को स्वच्छ होने में
                                                                                          लगेंगे दो सौ  साल।
                           निर्मल गंगा,अविरल गंगा का नारा,केन्द्र के,
                                                                                          लिये  बन गया बावल।
                           देश की सभी नदियों को स्वच्छ करने में,
                                                                                     लगेंगे ऐसे हजारों  साल।
                            वर्ष उन्नीस सौ छियासी में प्रारम्भ हुआ था,
                                                                                     गंगा निर्मलीकरण अभियान।
                            अट्ठाइस वर्षो में जनता के तेरह हज़ार करोड़,
                                                                                       रुपये का हुआ कल्यान।
                              गौमुख से गंगासागर पच्चीस सौ किलोमीटर में,
                                                                                         है गंगा का यात्रा मार्ग का निशान।
                            गाँव -गाँव कस्बे -कस्बे  शहर- शहर  का
                                                                                          कचड़ा होता है गंगा में प्रवाहमान।                

Wednesday, September 3, 2014

कसम है मोदी तुमको **************

                                              कसम  है मोदी  तुमको **************

                                            =============================


                दबी -छुपी  ज़ुबान  से क्यों  क़ह रहे  हो,
                चीन  को विस्तारवादी।
                 वह  तो स्वयं सिद्ध है विस्तारवादी।
                  पहले तो हड़पा  तिब्बत को,
                 उन्नीस सौ 62 में
                  सैकड़ो वर्ग मील धरती भारत  की
                  कब्जियाई।
                  यदा -कदा  दावा ठोकता है,
                  अरुणांचल में उसको जरा भी,
                  शर्म  नही  आयी।
                  हाथ  मिलाया नापाक पाक से
                   आज़ाद कश्मीर की धरती  भी,
                   उसके कब्जे आयी।
                   लोक -सभा के चुनाव में,
                    बहुत बाँह  सिकोड़ी  है,
                   छाती आपकी सबसे ज्यादा चौड़ी है।
                    आ रहे है चीन के प्रधान -सेवक,
                    कसम है  मोदी तुमको
                     जो धरती  न उनसे छुड़वाई। 
 





           

Monday, September 1, 2014

अब तेजी से होने लगे है खाली **************

                                  अब तेजी से होने लगे है खाली **************
                              ==================================

             स्विस  बैंको  के खाते  अब तेजी से होने लगे है खाली।

              रामदेव व अन्ना,मोदी ने खूब है   बजवाई   है ताली।

               देशो में  जब सूचनाओं  की होने  लगी अदला -बदली।

                भारतीय काले जमा कर्ताओ में मच गयी खल -बली।

                जब से मचा  है  हल्ला,स्विस बैंको में है धन   काला।

                  छै वर्षो में   25लाख  कऱोड रूपया लोगो ने है निकला।