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********* चीन की सधी हुई चाल *****
आज दिनांक 20 सितमबर 2014 चीनी सेना के 35 जवान लद्दाख के चुमुर की एक पहाडी की चोटी पर
फिर से जमा हो गये है। चीनी चरवाहो ने दम चोक में काबिज अपने टैन्ट नहीं हटाये है। चीन के राष्ट्र पति
चिन -फिंग के आगमन पर तय रणनीति के त हत 300 चीनी सैनिको ने घुस पैट कर भारतीय सीमा में हो रहें
कार्य को रोकने का प्रयास किया। कुछ दिन पूर्व चीनी प्रधान मंत्री ली कहू यांग के आगमन के समय भी चीनी
सैनिकों ने घुस पैठ की थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2007 तक 1500 बार,सन 2013 से गत तीन वर्षो मे
600 बार वर्ष 2014 में अब तक 335 बार चीनी सैनिकों ने घुस पैठ की है। वर्ष 1914 में मैकमोहन रेखा तय की
गयी थी। उसका उल्ल्घन बराबर किया जा रहा है।
लेह से 300 कि० मी ० उत्तर पूर्व हिमांचल की सीमा से लगतें चुमार अक्साई चीन को भारत लद्दाख का हिस्सा
मानता है जबकि चीन इसे चनिझिज यांग प्रान्त का हिस्सा बताता है। वर्ष 2006 से चीन पूरे अरुणांचल व
सिकिक्म के कुछ हिस्से पर भी अपना अधिकार बताता है। वर्ष 1962 के युद्ध में चीन ने 3200 वर्ग कि o मी 0
जमीन पर अधिकार जमा लिया जिसकी अब कोई चर्चा नहीं कर ता है। गुलाम कश्मीर का कुछ हिस्सा पाक
दवरा चीन को प्रदान किया गया जहाँ चीन समरिक तैयारिया करता आ रहाहै। भारत और चीन के मध्य साढ़े -
चार हज़ार किमी की सीमा अनिर्णित है। जिसे वास्तविक नियन्त्रण रेखा कहा जाता है। वर्ष 2003 से 17 बार
वार्ता हो चुकी है प र नतीजा शून्य है। अब आगे और कितनी वार्ताएँ होगी पता नहीं है।
चीनी राष्ट्र पति के आगमन के पूर्व 100 अरब डॉलर के निवेश का हल्ला था जबकि 5 वर्षो में 20 अरब डॉलर के
समझौते हुये है। भारत विश्व में एक बडा बाज़ार है। कुछ सालो से हम देखते है कि चीनी उत्पादों से भारत के
बाज़ार भरे पड़े है। घरेलू उद्धोग धन्धे उसके सामने नत मस्तक है। चीन का जोर आर्थिक रिश्तों पर है पर वह
अपनी विस्तारवादी नीतियों को छोड़ना नहीं चाहता है। चीन के राष्ट्र पति का यह कथन की सीमा निर्धारण न
होने के कारण अनजाने में चीनी सैनिक सीमापार आ जाते है। हमारे सैनिक क्यों नहीं चीनी झेत्र में भूल से चले
जाते है।
लोक़सभा चुनाव के समय हमारे प्रधान सेवक जी ने बाहे चढ़ाते हुए चीन व् पाकको तीखी चेतावनी दी थी कि
हमारी और कोई भी आँख उठा कर देखने की हिम्मत नहीं कर सकता। पद पर आते ही कुछ मुलायम हो गए।
वैसे पूर्व विदेश सचिव शशांक का विश्वास है कि भविष्य में दोनों देश सीमा -विवाद का हल करने के लिए
गम्भीरता से कदम बढ़ाएंगे। हमे सकारात्मक सोच के साथ सावधानी पूर्वक चौक्कना होकर आगे बढ़ना होगा।
वर्तमान वैश्विक परिस्थितयो के अनरूप भारत व चीन को एक दूसरे की सख्त जरूरत हे।
********* चीन की सधी हुई चाल *****
आज दिनांक 20 सितमबर 2014 चीनी सेना के 35 जवान लद्दाख के चुमुर की एक पहाडी की चोटी पर
फिर से जमा हो गये है। चीनी चरवाहो ने दम चोक में काबिज अपने टैन्ट नहीं हटाये है। चीन के राष्ट्र पति
चिन -फिंग के आगमन पर तय रणनीति के त हत 300 चीनी सैनिको ने घुस पैट कर भारतीय सीमा में हो रहें
कार्य को रोकने का प्रयास किया। कुछ दिन पूर्व चीनी प्रधान मंत्री ली कहू यांग के आगमन के समय भी चीनी
सैनिकों ने घुस पैठ की थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2007 तक 1500 बार,सन 2013 से गत तीन वर्षो मे
600 बार वर्ष 2014 में अब तक 335 बार चीनी सैनिकों ने घुस पैठ की है। वर्ष 1914 में मैकमोहन रेखा तय की
गयी थी। उसका उल्ल्घन बराबर किया जा रहा है।
लेह से 300 कि० मी ० उत्तर पूर्व हिमांचल की सीमा से लगतें चुमार अक्साई चीन को भारत लद्दाख का हिस्सा
मानता है जबकि चीन इसे चनिझिज यांग प्रान्त का हिस्सा बताता है। वर्ष 2006 से चीन पूरे अरुणांचल व
सिकिक्म के कुछ हिस्से पर भी अपना अधिकार बताता है। वर्ष 1962 के युद्ध में चीन ने 3200 वर्ग कि o मी 0
जमीन पर अधिकार जमा लिया जिसकी अब कोई चर्चा नहीं कर ता है। गुलाम कश्मीर का कुछ हिस्सा पाक
दवरा चीन को प्रदान किया गया जहाँ चीन समरिक तैयारिया करता आ रहाहै। भारत और चीन के मध्य साढ़े -
चार हज़ार किमी की सीमा अनिर्णित है। जिसे वास्तविक नियन्त्रण रेखा कहा जाता है। वर्ष 2003 से 17 बार
वार्ता हो चुकी है प र नतीजा शून्य है। अब आगे और कितनी वार्ताएँ होगी पता नहीं है।
चीनी राष्ट्र पति के आगमन के पूर्व 100 अरब डॉलर के निवेश का हल्ला था जबकि 5 वर्षो में 20 अरब डॉलर के
समझौते हुये है। भारत विश्व में एक बडा बाज़ार है। कुछ सालो से हम देखते है कि चीनी उत्पादों से भारत के
बाज़ार भरे पड़े है। घरेलू उद्धोग धन्धे उसके सामने नत मस्तक है। चीन का जोर आर्थिक रिश्तों पर है पर वह
अपनी विस्तारवादी नीतियों को छोड़ना नहीं चाहता है। चीन के राष्ट्र पति का यह कथन की सीमा निर्धारण न
होने के कारण अनजाने में चीनी सैनिक सीमापार आ जाते है। हमारे सैनिक क्यों नहीं चीनी झेत्र में भूल से चले
जाते है।
लोक़सभा चुनाव के समय हमारे प्रधान सेवक जी ने बाहे चढ़ाते हुए चीन व् पाकको तीखी चेतावनी दी थी कि
हमारी और कोई भी आँख उठा कर देखने की हिम्मत नहीं कर सकता। पद पर आते ही कुछ मुलायम हो गए।
वैसे पूर्व विदेश सचिव शशांक का विश्वास है कि भविष्य में दोनों देश सीमा -विवाद का हल करने के लिए
गम्भीरता से कदम बढ़ाएंगे। हमे सकारात्मक सोच के साथ सावधानी पूर्वक चौक्कना होकर आगे बढ़ना होगा।
वर्तमान वैश्विक परिस्थितयो के अनरूप भारत व चीन को एक दूसरे की सख्त जरूरत हे।
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