***** कैलाश -मानसरोवर का नया मार्ग **********
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चीनी राष्ट्र पति के भारत आगमन पर हमारे प्रधान सेवक श्री मोदी जी की वार्ता के फलस्वरुप चीन ने
कैलाश -मानसरोवर यात्रा का दूसरा वैकल्पिक मार्ग सिकिक्म के नाथुला दर्रे से खोलने की सहमति प्रदान की है।
यह रास्ता काफी सुगम है परन्तु थोड़ा लम्बा जरूर है। नाथुला के बाद तिब्बत के दूसरे बड़े शहर जियागजी से
होते हुए बेहतरीन राज मार्ग है। तीर्थ यात्री बसो व जीपों की सहायता से सुगमता पूर्वक मानसरोवर तक पहुँच
सकते है। बूढ़े तीर्थ यात्रीयो के लिए यह मार्ग ही ठीक है। यह कम दुर्गम है जबकि वर्तमान मार्ग जो धारचुला
होते हुए जाता है काफी कठिन है तथा प्रतिवर्ष लगभग 1000 तीर्थ यात्री ही इसका लाभ उठा पाते है।
उत्तराखंड के लोगो दवरा इस नए मार्ग का विरोध किया जा रहा है। विरोध -प्रदर्शन किये जा रहे है। इस
विरोध के पीछे यह कारण है कि यात्रा -काल में मार्ग में पड़ने वाले पड़ाव पर लोगो को रोजगार उपलब्ध होता है।
यदि यह मार्ग बन्द होता है तो हजारो लोगो की रोजी रोटी पर असर पड़ेगा। प्रदेश के मुख्य मंत्री हरीश रावत ने
आपत्ती दर्ज करते हुए इसे देश की जनता की धार्मिक भावनाओ के विपरीत बताया। इसके विपरीत हरिद्वार के
साधु संतो ने नए मार्ग का स्वागत किया। गंगा सभा के प्रमुख अशोक त्रिपाठी ने भी नए मार्ग का समर्थन
किया। जूना अखाड़े के राष्ट्रीय उप -प्रधान प्रेम गिरी ने कहा कि नए मार्ग तो खुलते रहते है इसमें धर्म -
विरुद्ध क्या है। नए मार्ग से लाखो श्रद्धालु इसका लाभ उठा पायेगे। नए मार्ग के खुलने से मार्ग में पड़ने वाले
गाँव -कस्बो के निवासियों को रोजगार -व्यसाय मिलेगा वह भी तो भारतवर्ष का ही हिस्सा है। यह कहना की
उत्तराखण्ड के पयर्टन व्यवसाय को समाप्त करने की साजिश हे उचित नहीं लगता। उत्तराखण्ड में बहुत से
स्थल हे जिन्हे विकसित कर पयर्टन उद्योग को बढ़ाया जा सकता है। अत; यह विरोध भी मात्र विरोध करने के
लिए विरोध करने की श्रेढ़ी में आता है। मानसरोवर के लिए अन्य मार्ग खोले जाने की मांग पहले भी उठायी
जाती रही है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान मार्ग भी श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी के प्रधान मंत्री कल में ही
आरम्भ हुआ।
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चीनी राष्ट्र पति के भारत आगमन पर हमारे प्रधान सेवक श्री मोदी जी की वार्ता के फलस्वरुप चीन ने
कैलाश -मानसरोवर यात्रा का दूसरा वैकल्पिक मार्ग सिकिक्म के नाथुला दर्रे से खोलने की सहमति प्रदान की है।
यह रास्ता काफी सुगम है परन्तु थोड़ा लम्बा जरूर है। नाथुला के बाद तिब्बत के दूसरे बड़े शहर जियागजी से
होते हुए बेहतरीन राज मार्ग है। तीर्थ यात्री बसो व जीपों की सहायता से सुगमता पूर्वक मानसरोवर तक पहुँच
सकते है। बूढ़े तीर्थ यात्रीयो के लिए यह मार्ग ही ठीक है। यह कम दुर्गम है जबकि वर्तमान मार्ग जो धारचुला
होते हुए जाता है काफी कठिन है तथा प्रतिवर्ष लगभग 1000 तीर्थ यात्री ही इसका लाभ उठा पाते है।
उत्तराखंड के लोगो दवरा इस नए मार्ग का विरोध किया जा रहा है। विरोध -प्रदर्शन किये जा रहे है। इस
विरोध के पीछे यह कारण है कि यात्रा -काल में मार्ग में पड़ने वाले पड़ाव पर लोगो को रोजगार उपलब्ध होता है।
यदि यह मार्ग बन्द होता है तो हजारो लोगो की रोजी रोटी पर असर पड़ेगा। प्रदेश के मुख्य मंत्री हरीश रावत ने
आपत्ती दर्ज करते हुए इसे देश की जनता की धार्मिक भावनाओ के विपरीत बताया। इसके विपरीत हरिद्वार के
साधु संतो ने नए मार्ग का स्वागत किया। गंगा सभा के प्रमुख अशोक त्रिपाठी ने भी नए मार्ग का समर्थन
किया। जूना अखाड़े के राष्ट्रीय उप -प्रधान प्रेम गिरी ने कहा कि नए मार्ग तो खुलते रहते है इसमें धर्म -
विरुद्ध क्या है। नए मार्ग से लाखो श्रद्धालु इसका लाभ उठा पायेगे। नए मार्ग के खुलने से मार्ग में पड़ने वाले
गाँव -कस्बो के निवासियों को रोजगार -व्यसाय मिलेगा वह भी तो भारतवर्ष का ही हिस्सा है। यह कहना की
उत्तराखण्ड के पयर्टन व्यवसाय को समाप्त करने की साजिश हे उचित नहीं लगता। उत्तराखण्ड में बहुत से
स्थल हे जिन्हे विकसित कर पयर्टन उद्योग को बढ़ाया जा सकता है। अत; यह विरोध भी मात्र विरोध करने के
लिए विरोध करने की श्रेढ़ी में आता है। मानसरोवर के लिए अन्य मार्ग खोले जाने की मांग पहले भी उठायी
जाती रही है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान मार्ग भी श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी के प्रधान मंत्री कल में ही
आरम्भ हुआ।
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