Tuesday, September 9, 2014

राजनीति में हमेशा दो और दो चार नही होते ****************

                                           राजनीति  में हमेशा दो और दो चार नही होते ****************
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                              राजनीति में हमेशा दो और दो चार  नही होते। कल तक जो थी बात  गलत अवसर बदलने पर वही बात सही हो जाया करती है। बिहार में  लालू यादव  व् नीतेश में थे छत्तीस का  आँकड़ा  आज तिरेसठ  में  बदल गया है। ममता दीदी ने वाम पन्थी यो को सत्ता से बेदखल किया आज एका की गुहार लगा रही है। उत्तर -प्रदेश में भी सपा ने मायावती का राजपाट हस्तगत कर लिया। अब बिहार की तरह सपा  बसपा का गठबंधन  की आवाज़ उठती जान पड़ती है।

                                जिन नीतियों का भा  जा  पा हमेशा से विरोध करती आयी है। उन्ही कार्यक्रमों व नीतियों को नई चमक -दमक के साथ लागू करने में कांग्रेस के कान काट  रही है। जिन कार्यक्रमों को कांग्रेस अपने शासन काल में लाना  चाहती थी। आज उन्ही का विरोध कर रही है अज़ब घाल -मेल है। लोक -सभा के चुनाव के पूर्व दिल्ली  राज्य के चुनाव सम्पन्न हुये। भा  जा  पा  सबसे बड़े दल के रूप में विजयी हुई। उस समय सरकार बनाने से इस लिए मना कर दिया की उसे स्पष्ट बहुमत नही है। जोड़ -तोड़ की सरकार नही बनायेगे। छै माह के गवर्नर शासन के पश्चात जबकि उसके तीन विधायक सासंद  बन गए यानिकी सख्या  घट गयी। अबकौन  सी  तरकीब से कौन से हिसाब से सरकार बनाना न्याय सगंत हो गया।

                                   यदि आप प्रदेश को  चुनावी  खर्चे  से बचाना  चाहते  है तो  क्यों  नही ऐसी व्यवस्था  लाते है   कि उप -चुनाव  की भी आवश्य्कता समाप्त हो जाये। पिछले  चुनाव में  जो रनर यानिकि दूसरे स्थान पर रहे है  उन्हें प्रथम स्थान वाले किसी कारण से ख़ाली करते है  तो दूसरे स्थान पाने वाले को अवसर प्रदान करना चाहिये। वैसे भी भा  जा  पा  को  चुनाव में जाना चाहिये। डर किस बात का मोदी जी तो अब विश्व   के नेता हो रहे है। ---------जय हिन्द            .      

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