Monday, July 27, 2015

माणिक सरकार ! त्रिपुरा में मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी द्वारा मुख्य मंत्री बनाए गये, दो साल पहले हुए चुनाव में 60 विधानसभा सीटों में 50 पर मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी सफल रही.करीब तीसरी या चौथी बार लगातार ये मुख्य मंत्री हुए हैं, बहुत सी उनमें विशेषताएँ हैं, जो लोगों को मालूम हैं, लेकिन आज के युग में भारत जैसे देश में जहाँ दुनिया भर की समस्याएँ मुँह बाए खड़ी हैं, और सरकारें आम तौर से अधिक दिन टिक नही पातीं, ऐसे में त्रिपुरा में करीब 35 साल से वामपंथी सरकार शासन कर रही है, ये बात समझने की है. विकास के मामले में भी तिरपुरा भारत के कई राज्यों से काफ़ी आगे है. शांति और सांप्रदायिक सौहार्द के मामले में भी उसकी पहली पोज़िशन है. आज तक भ्रष्टाचार का एक भी उदाहरण सामने नही आया, देश में वही संविधान है, जिसके तहत सभी राज्यों की सरकारें काम कर रहीं हैं, जबकि बहुत सारी सरकारों पर एक नही सैकड़ों भ्रष्टाचार के मामले टीवी और अख़बारों के मध्यम से सुनने को मिलते हैं. लेकिन क्या वजह है की तिरपुरा जैसे राज्य में इतने समय तक शासन चलने के बाद भी भ्रष्टाचार का एक भी मामला सामने नही आया. सरकारों और सरकारी लोगों के खिलाफ जनता का असंतोष देश के बाकी हिस्सों में बहुत अधिक देखा जा रहा है, वैसा असंतोष आज तक त्रिपुरा में सुनने को नही मिला. ये सब वैचारिक आधार पर संगठित और व्यवस्थित लोगों के काम से, और ईमानदारी से संभव हो सका है. वरना एक बॉर्डर एरिया जो बंगला देश से लगा हुआ है, वहाँ कितनी शांति और सांप्रदायिक सौहार्द की भावना देखी जा रही है, वो कमाल की बात है. देश में दूसरे भी बॉर्डर एरिया हैं,लेकिन धर्म और दूसरे नाम से वहाँ कितने झगड़े और नफ़रत के वातावरण देखने को मिलते हैं. वो आप सभी को मालूम है. लेकिन एक बॉर्डर ये भी है, हिंदू मुस्लिम जैसे प्रश्न यहाँ नही उठ रहे हैं, ऐसा क्यों है? वो लोग भी तो इसी देश और इसी देश में चल रहे संविधान और क़ानून से जुड़े हुए हैं. वहाँ भी हर जाती धर्म के लोग हैं. तो ये बात साफ समझ में आ रही है की सरकार की जनता के साथ अगर डीलिंग या व्यवहार सही है, जनता के प्रति सरकार ज़िम्मेदार है, तो फिर जनता भी सुखी होगी, तिरपुरा में ऐसा ही है. सरकार और पार्टी के लोग ज़िम्मेदारी के साथ काम कर रहे हैं. इस लिए वो देश के दूसरे राज्यों की अपेक्षा सुखी प्रांत है. दूसरे विकसित राज्य जैसे गुजरात और महाराष्ट या दूसरे राज्यों की तरह पूजिपतियों का भारी इनवेस्टमेंट भी वहाँ नही हुआ है, आर्थिक रूप से बडे घरानो का कोई विशेष सहयोग भी नही रहा. लेकिन फिर भी त्रिपुरा विकास कर रहा है,और देश के दूसरे राज्यों जैसे गुजरात से भी आगे है,शिक्षा में देश का पहला साक्षरता में स्थान है, आज हर मैदान में दूसरे राज्यों की अपेक्षा बेहतर पोज़िशन में है, ऐसा क्यों है? हम चाहेंगे की हमारे देश के नवजवान और समझदार लोग इस बात को ज़रूर समझे, और ऐसे ही विचारधारा के लोगों को शासन और सरकार बनाने के लिए आगे ले आने में सहयोग करें

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