हे प्रभु ! कैसी है,तेरी लीला,अजब है तेरी माया
कभी तेज धूप खिलती
है, कभी आती है छाया
हम तेरे शुक्रगुजार है, सो
बार हे जगत पिता
हमारे सर पर है,तेरे
वरद हस्त का साया
कभी तेज धूप खिलती
है, कभी आती है छाया
हम तेरे शुक्रगुजार है, सो
बार हे जगत पिता
हमारे सर पर है,तेरे
वरद हस्त का साया
माया तो
ठगनी है,इसको न को समझ पाया
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