"ग्रीष्म कल का है
अजब हाल
नर –नारी,पशु –पझी सब
बेहाल
जंगल में जब
सुलगती आग
पेड़ सभी
वह करती खाक
दावानल का
बड़ता है प्रकोप
मनु पर है प्रकति
का प्रतिशोध "|---------------dinesh
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