Saturday, July 25, 2015

मे  मन की  बात
                     अभी  हम निद्रादेवी के बाहुपाश से पूरी तरह मुक्त भी  न  हो पाया थे \प्राची दिशा में आदित्य देव अपनी यात्रा का शुभारम्भ करने की तैयारी कर ही रहे थे की एक कर्ण –प्रिय आवाज हमारे कानो में गुजी “कहते  है  सब वेद पुराण,बिन पेड़ो के नहीं  कल्याण /अभी आखे पूरी तरह  से खुली  भी  न थी कि एक और  स्वर उभरा “ धूल-धुआ और  बढ़ता  शोर,धरती चली  विनाश की ओर/ फिर सिसकती हुई आवाज आयी” सारी धरती  करे पुकार,पयार्वरण  में  करो  सुधार |”

                       आज” विश्व पर्यावरण दिवस “ है /पर्यावरण झरन  व् विनाश  पर चिंता  व् चिन्तन  करने  का दिवस / लाखो सरकारी  व् गैर सरकारी  कार्यक्रम  किये जायेगे / हमे पर्यावरण सुरझा की बात एक ही दिन नहीं प्रतिदिन  करनी चाहिए / पर्यावरण बिगड़ने का प्रमुख कारण है दिन प्रतिदिन बढती हुई  जन सख्या अनुमान है की सन २०५० तक विश्व  की जन सख्या ९.६ अरब हो  जाएगी / जन बढ़ोतरी का मतलब है, वनों का सिकुड़ना/ वनों  का सिकुड़ना मतलब पर्यावरण  का विनाश | हमे इस  चक्र को  रोकना होगा / वनीकरण के लिए धरती को  बचना होगा /जन –भीड़ को कम करना होगा / तभी धरती  सुरछित रह पायेगी | हम अपनी रोजाना  की दिनचर्या में छोटे –छोटे बदलाव  लाकर  पर्यावरण  सुरझा  में महती योगदान  प्रदान  कर सकते  है / हम अपनी धरती को  हरी –भरी बना सकते है | आने  वाली  पीढ़ी  को  जीवन –लायक  धरती  उपलब्ध कर सकते है “|----------------------------------दिनेश 

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