“योग तन –मन
को स्वस्थ रखने की एक वैझानिक
विधा है \ योग किसी
धर्म से नहीं
जुड़ा है \यह एक जीवन जीने का
तरीका है \ सूर्य – नमस्कार एक आसन
है \ इस आसन में शरीर के विभिन्न अंगो के लाभकारी
योग मुद्राये शामिल है \ तो फिर क्यों
विरोध \कैसा विरोध \ नमाज अदा
करते समय में भी जब विभिन्न
आसनों का प्रयोग करते है \ तो
खुदा की इबादत के साथ व्यायाम भी होता
है \ हम सभी को सभी धर्मो की
भावनाओ का आदर करना चाहिए \हमे दुराग्रह
कर किसी अच्छी बात का
विरोध नहीं करना चाहिए \ न
किसी का अनुचित
विरोध सहन करना चाहिए
|”--------------------------------------------दिनेश
No comments:
Post a Comment